मन में साची प्रीत अठै है।

मूमल मरवण गीत अठै है॥

धोरां में हरियाळी हुलसै।

जीवण रो संगीत अठै है॥

दुसमण जे जावै सरणै।

सरण देवण री रीत अठै है॥

देवै है इतिहास गवाई।

हारै बैरी जीत अठै है॥

कोई भी मारग नीं भटके।

बड़कां री दृढ़ भींत अठै है॥

पीठ फोर भागण सूं आछी,

रण फोर भागण सूं आछी।

रण मरणै री सीख अठै है॥

फगत मिनख नीं, जीव मात्र नैं।

सुख देवण री दीठ अठै है॥

मिंदर री भींता सूं चिपकर।

गिरजाघर मसीत अठै है॥

बारह मास हरख उच्छब रा।

क्रिसमस होळी ईद अठै है॥

रूत छव शिशि हेमंत वसंतउ।

गरमी बिरखा सीत अठै है॥

अपणै वचन बात रै पेटे।

जीव देवणिया मीत अठै है॥

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : शंकरलाल स्वामी ,
  • संपादक : श्याम महर्षि ,
  • प्रकाशक : राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति