पुष्कर 'गुप्तेश्वर'
इण सदी रा कवि-लेखक।
इण सदी रा कवि-लेखक।
आगे-पाछे मत नाल़ो
भेळा व्हे अर पंच-पटेल
घुग्घा ने परभात, आसे नी आवे
हांझ पड़्यां ई हलग्या दीवा
जीवां ने जंतरण्या वादळ
कई काम रा लूका ई
करणो व्हे तो काम घणोई
करवा लागा काका, वातां विकास री।
खड़ताल मजीरा है’ के नी
मूरख लारे मूरख बण अर रेवो हो
पाणी कठे वताइ दे
फूंक दे, फूंक! आग चेतेगा
राखोड़ो व्हे जाई जी