जीवां ने जंतरण्या वादळ।

मनवा ने मंतरण्या वादळ॥

ईतर—तीतर वरण्या वादळ।

अवस करी ने वरण्या वादळ॥

काळा—काळा धोळा—धोळा—

आभा में फरण्या वादळ।

ऊंचा—ऊंचा मंगरा माथे—

ठुमक—ठुमक पग धरण्या वादळ।

भूखी—धरणी सूखा—सरवर—

कठे गिया जळ भरण्या वादळ?

करस्या हरस्या हेला पाड़े—

सुखकरण्या दुखहरण्या वादळ।

स्रोत
  • पोथी : फूंक दे, फूंक ,
  • सिरजक : पुष्कर ‘गुप्तेश्वर’ ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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