भेळा व्हे अर पंच—पटेल।

भज्या पेली पी ग्या तेल॥

मन में तो भर राखे मैल।

तन पे रगड़े इतर—फुलेल॥

दन—भर दौड़े सड़कां पे—

रात पड़्यां बिजली व्हे फेल।

धरम—करम ग्या धरड़ी में—

नोट—वोट मिल खेले खेल।

पिक्चर पण व्हे ग्यी दी एंड—

दर्‌‌सक समझ्या इंटरवेल।

स्रोत
  • पोथी : फूंक दे, फूंक ,
  • सिरजक : पुष्कर ‘गुप्तेश्वर’ ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण