हांझ पड़यां हलग्या दीवा।

दीवा ऊं मलग्या दीवा॥

तेल पूर ने वाट हंजोयां

जगमग-जगमग जळ ग्या दीवा।

मेड़ी माथे मूंडेरां पे

आंगण-वाड़ी फळ ग्या दीवा।

मंदर अर पणघट पे पूग्या

घर में ही नी अलग्या दीवा।

मोम-होम रा वण्या-ठण्या

वाटां वळ्या पिघळ ग्या दीवा।

स्रोत
  • पोथी : फूंक दे, फूंक ,
  • सिरजक : पुष्कर 'गुप्तेश्वर' ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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