Anjas

दूहा

राजस्थानी भासा रै मांय वीर अर दानी पुरूसां खातर घणकरां दूहा लिख्या गया। ओ मात्रिक छंद है। दूहे रै पैले अर तीजे चरण में तेरह अर दूजे अर चौथे चरण में इग्यारा मात्रावां हुवै, इण साथै सोरठे छंद रो उलटो हुवै।

नरपत आशिया "वैतालिक"

नरपत आशिया "वैतालिक"

1974

चावा कवि-गीतकार। डिंगल में ई लगोलग लेखन।

नवल जोशी

नवल जोशी

1952

चावा कवि। डिंगल में लगोलग लेखन।

नृसिंह राजपुरोहित

नृसिंह राजपुरोहित

राजस्थानी कहाणी नै अलग मोड़ देवणिया कथाकार। केंद्रीय साहित्य अकादमी सूं सम्मानित।

नागरीदास

नागरीदास

1699 -1764

किशनगढ़ रा शासक, मूल नांव सावंत सिंह। भक्ति-भाव री रचनावां करी।

नाथूसिंह महियारिया

नाथूसिंह महियारिया

1891 -1975

मेवाड़ रा राजकवि अर वीर रस रा सिरै कवि रूप चावा। वीर सतसई, हाड़ी शतक, झाला मान शतक आद घण महताउ रचनावां रा सिरजक।

नाथा सांदू

नाथा सांदू

उत्तरमध्यकाल रा डिंगळ कवि।

नारायण दूधाधारी

नारायण दूधाधारी

1622 -1719

मारवाड़ सूं संबंधित प्रमुख दादूपंथी संत कवि। 'नारायण वाणी' नांव री चावी रचना।

नारायण सिंह जोधा

नारायण सिंह जोधा

1932

आधुनिक काल रा डिंगल कवि। हल्दीघाटी युद्ध रा वीर झाला मानसिंह रै पराक्रम ने आधार बनाय'र 'मर्द मकवांण' नांव रै खंड-काव्य री रचना लिखी।