नागरीदास
किशनगढ़ रा शासक, मूल नांव सावंत सिंह। भक्ति-भाव री रचनावां करी।
किशनगढ़ रा शासक, मूल नांव सावंत सिंह। भक्ति-भाव री रचनावां करी।
आंनन सौ आंनन छियै
आरस सौ अरुझी पलक
अलसौंहैं निसि के जगे
बाजे मति मति बांसुरी
गांठ गठीले बांस की
घैरु होत जान्यौ न
हरी हरी कहि लेहु री
हरि मूरति चित मै चुभी
इस्क चिमन रा दूहा
लगे लगे दृग आवहीं
लहि रति सुख लगियै हियै
लहरि लहरि जोबन करैं
लखि लखि अंखियां अधखुली
महा रूप मदिरा छकी
मुख मुंदे रहु मुरलिया
नीठि नीठि उठि बैठहीं
पीय लियो पिय मन लियो
पिय पौछत पट पीत सौं
उठे भोर सुकवार