नागरीदास
किशनगढ़ रा शासक, मूल नांव सावंत सिंह। भक्ति-भाव री रचनावां करी।
किशनगढ़ रा शासक, मूल नांव सावंत सिंह। भक्ति-भाव री रचनावां करी।
अब तौ स्यांम सोवन दै, होत हैं पह पियरी
बिन सतसंग मति बेढंग
दरपन देखत, देखत नाहीं
जब लग ही जग को सुख पागै
जीवत मृतक व्है गयो वृद्ध
कहां वे सुत नाती हय हाथी
कलि के जनम बिगारत लोग
कलि के लोग कुमंत्री सिगरे
कलि मैं ते क्यों भक्त कहावैं
पिय जिय पीर कछु पहिचान
सब दुख बड़े कहायैं होय
सब मुख स्याम सरनैं गयैं
सुनत धुनि बैंन मधुराग गौरी रुचिर
तरुन भयो तरुनी संग राच्यो