पद14 अब तौ स्यांम सोवन दै, होत हैं पह पियरी कलि के जनम बिगारत लोग कलि मैं ते क्यों भक्त कहावैं कहां वे सुत नाती हय हाथी सब मुख स्याम सरनैं गयैं
दूहा19 अलसौंहैं निसि के जगे आंनन सौ आंनन छियै आरस सौ अरुझी पलक गांठ गठीले बांस की बाजे मति मति बांसुरी
हरदास मीसण किशनदास जी महाराज स्वामी आत्माराम ऊदोजी अड़ींग संत सुखरामदास ओपा आढा काशी छंगाणी पृथ्वीराज राठौड़