Anjas

दूहा

राजस्थानी भासा रै मांय वीर अर दानी पुरूसां खातर घणकरां दूहा लिख्या गया। ओ मात्रिक छंद है। दूहे रै पैले अर तीजे चरण में तेरह अर दूजे अर चौथे चरण में इग्यारा मात्रावां हुवै, इण साथै सोरठे छंद रो उलटो हुवै।

डूंगरसी रतनू

डूंगरसी रतनू

सतरवीं सदी रा डिंगल कवि। जलम भौम अर समै विषयक जाणकारी रो अभाव। फुटकर डिंगल गीतां खातर चावा।

डेल्हजी

डेल्हजी

1433 -1493

जांभाणी साहित्य रा रचनाकारां मांय खास गिणावणजोग नांव। इणां री 'बुध परगास' अर 'कथा अहमनी' नांव री दो रचनावां मिळै।

दूदो विसराल

दूदो विसराल

पन्द्रहवैं सईकै रा कवि। ’राठौड़ रतनसिंह री वेलि’ नामी रचना।

दयाबाई

दयाबाई

1693 -1773

मेवात रा चावा संत चरणदास जी री शिष्या अर भगत कवयित्री। समर्पण अर वैराग सूं सम्बंधित सिरजकां में आगली पांत में आवण वाळो नांव।

दयालदास सिंढायच

दयालदास सिंढायच

1798 -1891

बीकानेर राज्य सूं सम्बंधित इतिहास ग्रन्थ 'दयालदास री ख्यात' रा रचैता।

दलपत बारहठ

दलपत बारहठ

1688 -1765

उदार अर निडर कवि। पिता मार शासक बखतसिंह री निंदा में 'पितामार प्रकास' नांव री रचना लिखी। 'वर्णरक्षा विकार' अर 'चूक पच्चीसी' नांव री अन्य रचनांवा भी मिळै।

दादूदयाल

दादूदयाल

1544 -1603

राजस्थान में निर्गुण भगती धारा रा प्रमुख संत कवि। नरैना, जयपुर में गादी थापित कर'र आपरै नांव माथे दादू पंथ चलायो। नांव सुमिरण, समर्पण अर सर्व धर्म समभाव सूं सम्बंधित पदां खातर चावा।

दीनदयाल ओझा

दीनदयाल ओझा

1929 -2024

चावा लेखक-संपादक। समै-समै पर कविता कर्म ई।

धनंजय वर्मा

धनंजय वर्मा

1932

राजस्थानी रा चावा कवि। 'रूपमाधुरी' नांव स्यूं पोथी प्रकासित।