
कवितावां
राजस्थानी कविता परम्परा में सामिल विधावां रो टाळवो संग्रै।
राजस्थानी कविता परम्परा में सामिल विधावां रो टाळवो संग्रै।
प्रगतिशील चेतना रा चावा कवि। 'सगत' अर 'डीगरां-डीगरां' नांव सूं दो पोथियाँ छपियोड़ी।
आठवें दसक री राजस्थानी कविता रा उल्लेखणजोग कवि। त्रेमासिक पत्रिका 'राजस्थली' रा संपादक।