
कवितावां
राजस्थानी कविता परम्परा में सामिल विधावां रो टाळवो संग्रै।
राजस्थानी कविता परम्परा में सामिल विधावां रो टाळवो संग्रै।
नूवी पीढ़ी रा ऊरमावान कवि-गद्यकार। छंद री ठावी समझ। 'डांडी रौ उथळाव' नांव सूं कविता संग्रै प्रकाशित।
सिरैनांव कवि-संपादक। राजस्थानी मांय 'राजस्थानी-1' पत्रिका निकाळ'र नूंवी कविता रा अैनांण देवणिया अर 'परंपरा' रे ख्यात अंक 'हेमाणी रा संपादक।