
कवितावां
राजस्थानी कविता परम्परा में सामिल विधावां रो टाळवो संग्रै।
राजस्थानी कविता परम्परा में सामिल विधावां रो टाळवो संग्रै।
राजस्थानी कविता जातरा रा सिरैनांव कवि-गीतकार। 'सैनाणी' कविता सारु खास पिछाण।
राजस्थानी में नान्ही-नान्ही कवितावां रौ रचाव। संस्मरण अर जातरा वरतांत लेखन में ई सक्रिय।
नूवी पीढ़ी में नवै तेवर रा चावा कवि-कहाणीकार अर आलोचक। ‘सपनै री सीख’ सूं लेय’र ‘सुनो घग्घर’ तांई रो सफर। पत्रकारिता सूं ई जुड़ाव।
पत्रकारिता, रंगमंच अर साहित्य में ठावी पिछाण। सौ सूं बैसी पोथ्यां रो लेखण।
मंचा माथै आपरै गीतां सूं ठावी पिछाण बणाई है। कवितावां में आपरै असवाड़ै-पसवाड़ै री चिंतावां नै सामीं लावै।