मधु आचार्य 'आशावादी' जलम: 1960 bikaner पत्रकारिता, रंगमंच अर साहित्य में ठावी पिछाण। सौ सूं बैसी पोथ्यां रो लेखण।
आखड़'र पड़ैला ओ ई आंतरो हो ओ ई मजूर है ओ कांई करै! पूरो लै मोल रे मन ! रेत मांय रळग्यो साच रा कपड़ा पैरावै साम्हीं क्यूं नीं आवै थारो अंधारो