मंजू किशोर 'रश्मि'
इण सदी री लेखिका।
इण सदी री लेखिका।
अस्यो बी कांईं हो ग्यो
बाट न्हाळती भूख
बगत का डीचला
भरकी
चाल थूं क्है दै जै
छळिया
जीवण को जंजाळ
जळबा दै ज्ञान की जोत
कालज्यो मत जळाओ जी
कुण सूं पूछां..?
माळा
मां
मीठो करबा कारणै
म्हूं कांई मं पाछै छूं
नींद नै बेच'र
फळ
सांच छै
सांची बेटी बण जाऊॅं
सुणो भगवान..!
थारै आबा की आस
थारी सूरत की सीपड्यां मं
थू कांईं जाणै तरसबो