मदन गोपाल लढ़ा
नूवी पीढ़ी में नवै तेवर रा चावा कवि-कहाणीकार अर आलोचक। ‘सपनै री सीख’ सूं लेय’र ‘सुनो घग्घर’ तांई रो सफर। पत्रकारिता सूं ई जुड़ाव।
नूवी पीढ़ी में नवै तेवर रा चावा कवि-कहाणीकार अर आलोचक। ‘सपनै री सीख’ सूं लेय’र ‘सुनो घग्घर’ तांई रो सफर। पत्रकारिता सूं ई जुड़ाव।
आव सोधां वै सबद
अबकै अदीतवार
अेक माड़ो सुपनो
बारी आळी रात
बस्ती
बीं सागण भौम
भूखमोचिनी
कैंसर एक्सप्रेस
छोरी : तीन चितराम
दीठ रौ फरक
देस री ओळूं मांय
धरती सूखी कोनी हुवै
एक माड़ो सपनो
गुवाड़ी रो धरम
हेत रा रंग
इतियास रो बास
करड़ो काळजो
खाग्यो बजार
खरो सांच
कोनी भरोसो सबदकोस रो
कुण है वो
लुगाई रै मांयनै जीवै है छोरी
मन मिळ्यां मेळो
म्हारै पांती री चिंतावां
नहर रै काळजै
नहर री मुळक
नांव खातर
पांती
पतियारो
प्रीत
प्रीत रा रंग
प्रीत री आडी
प्रेम री जवानी में
सवाल
सीट मिलेगी प्लीज।
तुरपाई करती लुगाई
उडीकै है पींपळ
उण अबखै बगत