मदन गोपाल लढ़ा
नूवी पीढ़ी में नवै तेवर रा चावा कवि-कहाणीकार अर आलोचक। ‘सपनै री सीख’ सूं लेय’र ‘सुनो घग्घर’ तांई रो सफर। पत्रकारिता सूं ई जुड़ाव।
नूवी पीढ़ी में नवै तेवर रा चावा कवि-कहाणीकार अर आलोचक। ‘सपनै री सीख’ सूं लेय’र ‘सुनो घग्घर’ तांई रो सफर। पत्रकारिता सूं ई जुड़ाव।
जन्म: 02 Sep 1977 | महाजन,भारत
डॉ. मदन गोपाल लढ़ा रौ जलम 2 सितम्बर 1977 नै बीकानेर जिलै रै महाजन गाम मांय हुयौ। मदन गोपाल राजस्थानी री नवी पीढ़ी रा चावा कवि-कथाकार अर आलोचक रै रूप मांय आपरी गैरी साख बणाई। बणाई। ‘सपने री सीख’,‘दादीमा री लाडली’,‘फाइव स्टार',‘म्हारै पांती री चिंतावा’अर ’चीकणा दिन’ वांरी टाळवी पोथियाँ है। वांरी रचनावां राजस्थानी री लगैटगै सगळी पत्रिकावां में प्रकाशित होंवती रैवै। समाज रै नुगरेपण सूं उपजी उदासी वांरी रचनावां में ख़ास तौर सूं निगै आवै। मदन गोपाल चावा अनुवादक है। भारतीय भासावां री कीं किताबां रौ उल्थौ पण वां करियौ है। वांनै केई इनाम-इकराम मिल्योड़ा है, जिणमें केंद्रीय साहित्य अकादमी रौ अनुवाद पुरस्कार सामिल है।