आ जूण कविता है आग रा छांटा आग रा छांटा आंख्यां आत्महंता काळजै री बात कीं पाप भी पुन्न ई हुवै खावै मिनख री छीयां मिनख री छायां पत्थर जुग रा पैगंबर साधू सैत माखी सांप तवायफखानो