अंत-पंत चैत री बाव दंगां रै पछै गुठियौ राजा जन-क्रोध जिद खेजड़ी कोसिस मांनखौ पण परकत फैसला प्रीत रौ सांगौ सिरजण तोप वै कवि है याद