वौ

होवणी चावै बठै

जठै वौ नीं है

इण कारण

वौ बठै नीं है

जठै वौ है

वौ

मान अर अपमान री

अणदेखी करतौ

कोई कीमत

चुकावण नै त्यार है अठै

वौ होवणी चावै बठै

आपरी सगळी तिसणावां

आसावां/मंसावां

मांय उफणती/उकळती

अेकठ औकळ साथै जठै नीं है

होवणी चावै

वौ बठै

आपरा सुपना

आपरी विचारणा

आपरी अणपार कामनावां

घुटती मसौसीजती भावनावां

आपरी आदम विरतियां

हरख/उमाव/साहित/कला

आपरी संपूरण अपूरणता साथै

होवणी चावै बठै

वौ नीं है जठै

अपूरण सूं

संपूरण कानी जावण रौ भाव,

जीवण रौ सभाव

नेम

परकत रौ।

स्रोत
  • पोथी : अेक दीवौ अंधारा रै खिलाफ ,
  • सिरजक : श्यामसुंदर भारती ,
  • प्रकाशक : मरूवीणा प्रकाशन, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम