थोड़ा में

घणी गहरी बात कह दी

मोहम्मद अल्वी

के काट खायोड़ी

तोप रा मूंढा में

अेक नैनीसी'क चिड़कली

घोंसलौ बणायौ है

निंवण करूं

थांरी कवि दीठ नै

थांरी कहण री लकब नै

असल में

जुगानजुग सूं

अगन रा गोळा उगळती

मिनखां रा फींफरा उड़ाती

हरियल खेतां नै मटियामेट करती

बस्तियां उजाड़तां-उजाड़तां

तोप री—

मनगत बदळगी

पण मिनख री?

स्रोत
  • पोथी : अेक दीवौ अंधारा रै खिलाफ ,
  • सिरजक : श्यामसुंदर भारती ,
  • प्रकाशक : मरूवीणा प्रकाशन, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम