चंद्र सिंह बिरकाळी 1912-1992 bikaner सिरैनांव कवि। 'लू' अर 'बादळी' जेड़ी राजस्थानी साहित्य री कालजयी पोथियाँ रा सिरजक।
गीत11 घणै ठाठ सूं खेवण लाग्यो छिण छिण सोहै छांटड़ल्यां री छोळ दूधै भरी कटोरी बीकाणै री भोम म्हानै प्यारी लागै जी! सखीरी सपनै में सैण जगाई
दूहा33 आज उनाळै ओ अली, बैठै तूं न गुलाब आभ अमूझी वादळी आयी नेड़ी मिलण नै आस लगायां मुरधरा बीत्या कई बसंत पण, एक न अंग अड़्यो