मैं तो एक बड़ो अलबेलो

जग नै जिण में सुख दरसावै

दुख री जड़ बा मनै लखावै

लहरां साथै मोज मनावै बांसूं पंथ नवेलो

मैं तो एक बड़ो अलबेलो

ना करणी फरियाद अठै सू

ना चाहूं मैं दाद कठै सूं

करणी मेरै मन री मन्नै बधसी खूब झमेलो

मैं तो एक बड़ो अलबेलो

जग रै भावैं पागल होस्यूं

राखूं चावै अपणी खोस्यूं

जग रो बोदो बाद आपणो पार करूंगो ठेलो

मैं तो एक बड़ो अलबेलो।

स्रोत
  • पोथी : बाळसाद ,
  • सिरजक : चन्द्रसिंह ,
  • प्रकाशक : चांद जळेरी प्रकासन, जयपुर
जुड़्योड़ा विसै