

चंद्र सिंह बिरकाळी
सिरैनांव कवि। 'लू' अर 'बादळी' जेड़ी राजस्थानी साहित्य री कालजयी पोथियाँ रा सिरजक।
सिरैनांव कवि। 'लू' अर 'बादळी' जेड़ी राजस्थानी साहित्य री कालजयी पोथियाँ रा सिरजक।
आभ अमूझी वादळी (बादळी)
आभो धररायो अबै (बादळी)
आज कळायण ऊमटी (बादळी)
आज उनाळै ओ अली, बैठै तूं न गुलाब
आस लगायां मुरधरा (बादळी)
आयी नेड़ी मिलण नै (बादळी)
अम्बर में उमड़ी घटा (बादळी)
आतां देख उंतावळी (बादळी)
बीत्या कई बसंत पण, एक न अंग अड़्यो
भैंसां मूळ न पावसै (लू)
चालै पवन अटावरी (बादळी)
चरचर करती चिड़कल्यां (बादळी)
छावण लागी वादळी (बादळी)
छोड़ मरोड़, छिपा मती (बादळी)
चुप मत साधै वादळी (बादळी)
धरा गगन झळ (लू)
धोळी रुई फैल सी (बादळी)
फांफां लाग्यां फाटिया(बादळी)
गाज न समझूं, वादळी (बादळी)
गांव-गाव में वादळी (बादळी)
गूंगा भोगै गांव, स्याणा सिसकारा भरै
गोप्यां राखण प्रीत, किरसण रो सुमरण किसो
जळ सो प्यारो जीव (बादळी)
जे लूआं थे जाणती (लू)
जीवण दाता वादळ्यां (लू)
जीवण नै सह तरसिया (बादळी)
काची कूंपळ फूल फळ (लू)
कड़वो रह चावै कितो, रहतां गुणां अनेक
कह चंदर जाचै कुणां, होयां बुरो हवाल
के बेटो के बाप, काम तणो सो मेळ जग
खो मत जीवण (बादळी)
खुर भाटा खोरा हुया, घाट्यां धूम न घेर
किरसाणां हळ सांभिया (बादळी)
कोमळ कोमळ पांखड़्यां (लू)
कोरा-कोरा धोरिया (बादळी)
लूआं लाग पिळीजिया (लू)
मरुधर म्हानै पोखिया
नभ सूं उतरी वादली (बादळी)
नहीं नदी-नाळा अठै (बादळी)
नान्हा गीगा पालणै (बादळी)
नांव सुण्यां सुख ऊपजै (बादळी)
ऊंच जनम हरि संग रो, रती न राख्यो गोळ
पहरै वदळै वादळी (बादळी)
पोखी कळियां प्यार सूं (लू)
प्रीतम भेजी वादळी (बादळी)
रळमिळ चाली तीजण्यां (बादळी)
सधी घणी बुगला अठ, प्रगटी आखर पोल
सज धज आवै सामनै (बादळी)
समदर रह मुरजाद में, ज्वार किता आ जाय
सांगरियां सह पाकियां (लू)
सावण सांझ सुहावणी (बादळी)
सोनै सूरज ऊगियो (बादळी)
सूरज किरण उंतावळी (बादळी)
सूरज साजन आवसी (बादळी)
सूकां तगरां सींगटी (लू)
सुण कनेर है बावळा, फूल्यो भरम फिरै
टप-टप चूवै आसरा (बादळी)
ऊंचा डाळां मांडिया (बादळी)
वीजां अकुर कूटिया (बादळी)