आयी नेड़ी मिलण नै, तीतरपंखी रेख।

हरखी सारी मुरधरा, चांद-जळैरी देख॥

स्रोत
  • पोथी : बादली ,
  • सिरजक : चंद्र सिंह ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार ,
  • संस्करण : 7