चरचर करती चिड़कल्यां, करै रेत असनान।

तंबू सो अब ताणियो, वादळियां असमान॥

स्रोत
  • पोथी : बदली ,
  • सिरजक : चंद्र सिंह ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार ,
  • संस्करण : 7