बीकाणै री भोम म्हानै प्यारी लागै जी!

प्राणां सूं भोम म्हानै प्यारी लागै जी!

बीकाणै रो कण कण म्हारै काळजियै री कोर

च्यारूं कूंटां नाम सुणां जद हिवड़ै उठै हिलोर

बीकाणै री भोम म्हानै प्यारी लागै जी!

प्राणां सूं भोम म्हानै प्यारी लागै जी!

बीकै सिरसो वीर दियो म्हानै रायसिंह सरदार

पीथल सिरसो कवि मिळ्यो म्हानै रजवट राखणहार

बीकाणै री भोम म्हानै प्यारी लागै जी!

प्राणां सूं भोम म्हानै प्यारी लागैजी!

स्रोत
  • पोथी : बाळसाद ,
  • सिरजक : चन्द्रसिंह ,
  • प्रकाशक : चांद जळेरी प्रकासन, जयपुर
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