आईदान सिंह भाटी
चावा कवि। कवितावां में लोकधर्मिता सारु राजस्थानी कविता जातरा में न्यारी ठौड़।
चावा कवि। कवितावां में लोकधर्मिता सारु राजस्थानी कविता जातरा में न्यारी ठौड़।
अेक दिन जरूर पाछौ आवैला मास्टर
औ कुण आयो, औ कुण आयो?
बाजार में सारंगी
बुगचौ
धोरै री ढाळ माथै भासा
घर अर फळसौ
जस्सू, घर री भींत अर पळटण
जठै देखलां भरी परात
कदैई तौ
कांई व्हियौ व्हैला पछै चिड़कलियां रौ?
कविता अेक फकीरी
कविता नीं है प्रळै-काळ रौ रूंख
म्हारी कविता
ओजाड़
ओळूं
पडूतर
रात
रूपक
सबदां री हद रै मांय
स्वाद
थारी अर म्हारी बात