म्हारी कविता उण मिनखांरी,

कीरत नै अरथावण आई

मिनखपणै अर ऊजळता रा,

गीतड़ला गावण नै आई

म्हारी कविता नमण करै है

कल्याणी धरती री माटी

रज-रज जिण रौ रंगियौ रंगतां

कांकड़-कांकड़ घाटी घाटी

खम्मा अवधूती खेजड़ियां ,

नमण करूं हर देवळ-थान

खम्मा आँख करुणा आळी नै,

खम्मा नर-नारी बलिदान

खम्मा मांनखै करम-खेत नै,

नमण चरण हळधर किरसाण

खम्मा भतवारी कामेतण,

जीवण पुरसारथ रै पांण

परसेवै री बूँद बूँद नै,

नमण करूं अर सीस नवाऊं

मेहनतकस पिरथी रौ पाळक,

उणरा 'ई गीतड़ला गाऊं

खम्मा संत,सगत,सूरां नै,

खम्मा ‘समता आळै’ गाण

खम्मा-नमण सनातन बाणी,

जिणसूं हौ धर रौ कल्याण

नमूं जगत री हरियाळी नै,

जिणमें सांवरियौ साकार

साँस-साँस रै सपन नमूं म्हैं,

परतख पवन ईस अवतार

टाबर री आंख्यां में पळतां,

आखर आगै खम्मा-खम्मा

नवौ मानखौ जो सिरजै उण,

सुरंगै-सपनां खम्मा-खम्मा

खम्मा-नमण है जोध-जवानी,

भिड़जा वज्र-तुफानां सूं

भाखर भांग, पताळां फोड़े,

रीझै वा ‘जय गानां’ सूं

भक्ति, ज्ञान आँखियाँ पळकै,

करम जवानी परतख देह

बदळावां री नव-आशा में,

नमण करूं कण-कण अर गेह

खम्मा-खम्मा नवौ मानखौ,

माथै में विग्यान–विवेक

कल्याणी इण करम-रेख रा,

पंख उडै आभै में देख

नमण करूं हर स्हैर-नगर नै,

खम्मा धरती रै हर गाँव

लीला-लैर जठै आदम-घर,

सपना मुळकै,सुख री छांव

म्हारी अरदास पुगावूँ,

इण जगती रै छोर-अछोर

काळी काजळिया रातां में

जठै उडीकै आंख्यां भोर

स्रोत
  • सिरजक : आईदान सिंह भाटी ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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