आईदान सिंह भाटी
चावा कवि। कवितावां में लोकधर्मिता सारु राजस्थानी कविता जातरा में न्यारी ठौड़।
चावा कवि। कवितावां में लोकधर्मिता सारु राजस्थानी कविता जातरा में न्यारी ठौड़।
जन्म: 10 Dec 1952 | जैसलमेर,भारत
डॉ. आईदान सिंह भाटी रौ जलम 10 दिसंबर 1952 नै जैसलमेर जिले रै नोख गाँव मांय हुयौ। वांरी सरुआती भणाई-लिखाई गाम में हुयी अर पछै स्नातकोत्तर जोधपुर विश्वविद्यालय सूं करी। अठै सूं इज प्रो. विमल चंद्र सिंह रै निर्देशन मांय ‘नई कविता के प्रबंध : वस्तु और शिल्प’ विसै सूं वां पीएच.डी री उपाधि हासिल करी। वांनै वांरै चर्चित कविता संग्रै 'आँख हिंयै रा हरियल सपना' माथै केंद्रीय साहित्य अकादमी रौ सिरै पुरस्कार मिळ्यौ। डॉ. भाटी राजस्थानी साहित्य जगत मांय एक न्यारी पैचाण राखै। वांरै रचना परिसर में जठै अेक कानी सुरंगौ सुपनां रौ संसार है, तौ दूजी कानी दुखां सूं भर्योड़ा तळाव है, जिणसूं जीयाजूण री बढती आपाधापी बिचाळै अंतस रो रस विरस व्हैतौ जावै है। 'रात कसूंबल' कविता संग्रै मांय त्याग-बलिदान, प्रेम-सौंदर्य रै साथै मैळ-मिळाप रा घणा रंग देखण नै मिलै। वां राजस्थानी री आधुनिक कविता नै बखत री धारा मांय रचण री खेचळ करी है। वांरी भाषा री बुणगट अर छंद री मांयली लय नै परोटण रौ जतन सांचै अरथा मांय संभव हुयौ है। ‘थार की गौरव गाथाएँ’ पोथी मांय आप मरुस्थल री विसेस्तावां अर अठै रैवणीया रौ जथार्थ बरणाव मार्मिक तरीके सूं कर्यो है। 'शौर्य पथ' (उपन्यास), ‘लोक का आलोक’, ‘स्मृति के गवाक्ष’ (संस्मरण) वांरी चावी पोथियाँ है। इण रै साथै 'गांधीजी री आत्मकथा' रौ अनुवाद करण री न्यारी खेचळ सूं साहित्य अकादमी दिल्ली कानी सूं अनुवाद पुरस्कार अर के. के. बिड़ला अर सूर्यमल मिसण सर्वोच्च पुरस्कार पण मिल्यौ। ‘गीत प्रीत के गाता पानी’ (बाल गीत) आद लेखन कर’र वै राजस्थानी भाषा साहित्य सिरजण मांय मील रा पत्थर साबित हुवै है।