सुमिरन पर दूहा

इष्ट और गुरु का सुमिरन

भक्ति-काव्य का प्रमुख ध्येय रहा है। प्रस्तुत चयन में सुमिरन के महत्त्व पर बल देती कविताओं को शामिल किया गया है।

दूहा20

निसवासुरि ग्रासै जुरा

हरिदास निरंजनी

काम क्रोध त्रिसना तजौ

हरिदास निरंजनी

देवा साधु अर संसार कै

स्वामी देवादास जी

किशनदास ऐसो जनम

किशनदास जी महाराज

राम-राम रसना रटौ

किशनदास जी महाराज

साखियाँ

सुंदरदास जी

नांव लियौ जिन सब कियो

साहबराम राहड़

काहे कूं परदुख सहे

हरिदास निरंजनी

मन अपणां सूं कहत हूं

हरिदास निरंजनी

मिनखा देही पाय कर

सांईदीन दरवेश