सुमिरन पर छप्पय

इष्ट और गुरु का सुमिरन

भक्ति-काव्य का प्रमुख ध्येय रहा है। प्रस्तुत चयन में सुमिरन के महत्त्व पर बल देती कविताओं को शामिल किया गया है।

छप्पय17

जे नृप धू डग जाय

गंगाराम बोगसा

सत तज जावै सीत

गंगाराम बोगसा

जिण मुख में हरि नाँव

संत सुखरामदास

जय जयति जालंधरनाथ

उत्तमचंद भंडारी

मह वरसै नह मेह

गंगाराम बोगसा

नमो अडोल अबोल

संत सेवगराम जी महाराज

परि हरियो सो संग

संत केसोदास

छप्पय परमेसरजी रो

डूंगरसी रतनू

अवरां तणै उकील

गंगाराम बोगसा

तोय मटै नह तरस

गंगाराम बोगसा

काल कुठारा जग बनी

संत सुखरामदास

जळनध तजै म्रजाद

गंगाराम बोगसा

तवां पंथ उतराद

गंगाराम बोगसा

बाई खूबड़ बेल

गंगाराम बोगसा

मूकै करुपत मांण

गंगाराम बोगसा