सुमिरण पर संवैया

इष्ट और गुरु का सुमिरन

भक्ति-काव्य का प्रमुख ध्येय रहा है। प्रस्तुत चयन में सुमिरन के महत्त्व पर बल देती कविताओं को शामिल किया गया है।

संवैया छंद18

कोटि अनंतहसंत भये

ईसरदास बोगसा

पांव जलंधर पांव तिंहारे

उत्तमचंद भंडारी

ईसर भाद्रेस प्रकास

ईसरदास बोगसा

जात करात अनात अली

ईसरदास बोगसा

दीन तौ देख विचार किया

सांईदीन दरवेश