

कल्याणसिंह राजावत
सिरैनांव गीतकार। गीतां में सिणगार रस री जाजी सौरम।
सिरैनांव गीतकार। गीतां में सिणगार रस री जाजी सौरम।
आ जमीन आपणी
आंबौ फळग्यौ रे
बात
बांचा दोय घड़ी
भारत की जय बोलौ रै
बीज में बरकत
दे धरती
हिवड़ै रे बौपार में
जागो और जगाओ
जिनगांणी
जुग रो हेलो
कुण देवैलौ हेलौ
ल्यौ सारौ आकास संभाळौ
मन रौ बोझ
मन री मैफल
माटी थारा रूप कितरी भांतरा
म्हारा कंवर सा
नाराणी नरपत होगी रै
पा’वणा
राजस्थानी नार हूं
सूखा रूंख : गीला बोल
तीन मुक्तक
तूं गोरी बा सांवळी
उड़ती कोयलड़ी
उठ ललकारो रे