कल्याणसिंह राजावत
सिरैनांव गीतकार। गीतां में सिणगार रस री जाजी सौरम।
सिरैनांव गीतकार। गीतां में सिणगार रस री जाजी सौरम।
जन्म: 08 Dec 1939 | चितावा,भारत
निधन: 16 Nov 2022
चावा कवि-गीतकार कल्याणसिंह राजावत रौ जलम 8 दिसम्बर 1939 नै नागौर जिलै रै चितावा गांव में हुयौ। वां राजस्थान विश्वविद्यालय सूं हिंदी में एम.ए. करी। वै लगैटगै 35 बरस भवानी निकेतन शिक्षण संस्थान, जयपुर में पढावता रैया। राजस्थानी कविता री मंच परम्परा में मीठे सुर रा धणी कल्याणसिंह राजावत चावा गीतकार रै रूप में ऊभा दीसै। सातवें दसक री राजस्थानी कविता मंच सूं मुगती अर नई कविता री अगुवाई में एक अलग चीलै चढगी पण कल्याणसिंह राजावत आपरी कविता रौ मूळ ‘छंद’ नीं छोड्यो अर दौर-दर-दौर आधुनिकता वांरी रचनावां में साम्ही आवती रैई।
कल्याणसिंह राजावत रै गीतां में प्रेम, सामाजिक क्लिशे अर निम्न-मध्यम वरग री पीड़ा हरमेस झरती रैई। परम्परा रै कवितांक ‘हेमाणी’ मांय कोमल कोठारी जिकी बात कल्याणसिंह शेखावत खातर लिखै;उणनै अठै देवणी ठीक रैवैला— ‘‘कल्याणसिंह राजावत री कविता में ई आपां नै कवी-सम्मेलनां री सफलता अर गेय रूप री सैज धारा मिळै;पण वां री कविता रौऊ रूझाण के वां री प्रवर्ती स्यात हाल-तांई रै सगळै कविया सूं न्यारी है। वां री कवितावां नै वां रै विकासक्रम में पसारां तौ वां रै जरियै जीवण रै भान्त-भांतीले गीतां रौ अंदाज तौ अवस मिळै। वै कविता में जित्ता सबळा अर सुभाविक है, वां रौ कवितापाठ रौ तरीकौ ई उत्तौ ई सुभाविक है।’’
कल्याणसिंह राजावत राजस्थानी मंच री कविता रा ख्यात अर लोकप्रिय गीतकार हा। देस-विदेस में होवण वाळा अखिल भारतीय कवि-सम्मेलनां में वांरी उपस्थिति सारु श्रोता उडीकता रैता। वां आधुनिक राजस्थानी गीतां नै एक अलग मुकाम दिरायौ। सिणगार, वीर अर सामाजिक विडरूपतावां माथै वांरी कलम लगोलग चलती रैई। जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय,जोधपुर अर राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड रै राजस्थानी पाठ्यक्रम में वां री रचनावां घणै चाव सूं पढाई जावै।
कल्याणसिंह राजावत नै वांरै साहित्य योगदान सारु अलेखूं सम्मान मिळ्या जिणमें ‘अरावली अवार्ड’, ‘साहित्य श्री सम्मान’, ‘सूर्यमल्ल मीसण सिखर पुरस्कार’, ‘साहित्य सम्मान (प्रयाग), ‘लोक विकास पुरस्कार’ आद सामिल है।
प्रकासित टाळवीं पोथियां
राजस्थानी गीत-संग्रै : ‘रामतिया मत तोड़’, ‘मिमझर’, ‘आ जमीन आपणी’, ‘परभाती’, ‘कुण-कुण नै बिलमासी’, ‘ल्यो सारो आकास संभाळो
हिंदी गीत संग्रै : ‘आरोहण’, ‘कल्याण’
संपादन : ‘पर्यावरण काव्य’, ‘स्वर्ण जयंती पत्रिका’, ‘मोरपांख’ (राजस्थान शिक्षा विभाग)