जुगां-जुगां सूं इण धरती रै, जण-जण री रखवाळ करूं म्हैं

दुख नै सुख में बदळ संवारू, पळ-पळ री प्रतपाळ करूं म्हैं

सिरजन हूं, सिणगार हूं

निरतण हूं, झणकार हूं

मीरां रौ इकतारौ हूं

जोहर रौ अंगारौ हूं

पदमण करमवती रै सागै, संगपण मरण त्युंहार हूं

राजस्थानी नार हूं

राजस्थानी नार हूं

वीणापांणी री बांणी बण, जग-जग में बिस्तार करूं म्हैं

लिछमी रूप धार धरती पर, अन-धन सूं भंडार भरूं म्हैं

दुरगा रो अवतार हूं

ताकत री तलवार हूं

करमा रौ प्रणप्यारौ हूं

नागण रौ फणकारौ हूं

मैंदी और मसाण पिछाणूं, मौत तणी मनवार हूं

राजस्थानी नार हूं

राजस्थानी नार हूं

हर बूंटे री कळी-फळी हूं, हर धोरै री क्यारी हूं म्हैं

खैतां सींव संभाळी राखूं, हरख भरी हरियाळी हूं म्हैं

करसण री पतवार हूं

ग्रिस्ती हूं घरबार हूँ

धरती रौ हलकारौ हूं

जीवण रौ पतियारौ हूं

फळ फूलां री बधी बेल हूं, मीठी गटक जवार हूं

राजस्थानी नार हूं

राजस्थानी नार हूं

भजनां रा करताळ मजीरा, काती पुस्कर पैडी हूं म्हैं

सांवण रा झूला, राखी हूं, फागण मूमल मैडी हूं म्हैं भगती री गणगौर हूं

सगती री सिरमोर हूं

मिनखा जूणंजमारौ हूं

बाती, दीप उजाळौ हूं

अंधारै री धाक मिटावण, झळबळती हुंकार हूं।

राजस्थानी नार हूं।

राजस्थानी नार हूं॥

स्रोत
  • पोथी : अंवेर ,
  • सिरजक : कल्याणसिंह राजावत ,
  • संपादक : पारस अरोड़ा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर ,
  • संस्करण : पहला संस्करण