प्रेम पर ग़ज़ल

प्रेम जूण जीवण रौ आधार

है। राजस्थानी प्रेमाख्यान अर पूरी साहित्यिक जातरा में इणरा फूठरा अर सिणगार्‌योड़ा दाखला आपां पढ़ां‌‌‌‌। अठै संकलित रचनावां प्रेम विसै रै ओळै-दोळै रचियोड़ी है‌।

ग़ज़ल10

प्रीत रीत नै कण जाणी

राजूराम बिजारणियां

आज कबीरी चादर धर दे

राजूराम बिजारणियां

म्हाकै वा

देवकी दर्पण ‘रसराज’

याद नित आयां सरै

किशोर कल्पनाकान्त

खुसबू रळी मन-प्राण में

किशोर कल्पनाकान्त

प्रेम रो नांव कान्हो है

राजूराम बिजारणियां

हूँ थारी याद लियां बैठ्यो हूँ

लक्ष्मीनारायण रंगा