प्रेम पर लोकगीत प्रेम जूण जीवण रौ आधार है। राजस्थानी प्रेमाख्यान अर पूरी साहित्यिक जातरा में इणरा फूठरा अर सिणगार्योड़ा दाखला आपां पढ़ां। अठै संकलित रचनावां प्रेम विसै रै ओळै-दोळै रचियोड़ी है।