प्रेम पर गीत

प्रेम जूण जीवण रौ आधार

है। राजस्थानी प्रेमाख्यान अर पूरी साहित्यिक जातरा में इणरा फूठरा अर सिणगार्‌योड़ा दाखला आपां पढ़ां‌‌‌‌। अठै संकलित रचनावां प्रेम विसै रै ओळै-दोळै रचियोड़ी है‌।

गीत34

गा लेवूं पूरौ गीत

किशोर कल्पनाकान्त

थोड़ी-सी जिंदगाणी में

कानदान ‘कल्पित’

म्हूं बेटी बाबल री छोटी

छैलूदान चारण 'छैल'

कामणी

मोहम्मद सदीक

बरसो रे

किशोर कल्पनाकान्त

माणीगर आवै है

किशोर कल्पनाकान्त

अपणायत इसी जगा ले तूं

मुनि बुद्धमल्ल

आलीजौ भंवर

रेवतदान कल्पित

मतवाली जोगण

किशन लाल वर्मा

कठीकर आवै अे?

किशोर कल्पनाकान्त

कुमकुम सूँ

बद्रीलाल ‘दिव्य’

डेली मेळा म्ह घुमावै

राम नारायण मीणा ‘हलधर’

रात घणेरी प्यारी

किशोर कल्पनाकान्त

सावण में नी आवड़ै

किशोर कल्पनाकान्त

म्हूं तो मन मानै ज्यूं राचूं

नरपत आशिया "वैतालिक"

भगवान भलो करसी थारो

किशोर कल्पनाकान्त

मरवण! तार बजा

किशोर कल्पनाकान्त

जियौ नहीं लागै रे

शकुन्तला सरूपरिया

आंसू क्यूं बरसावै?

किशोर कल्पनाकान्त

अै रातां है जागण री

किशोर कल्पनाकान्त

बरखा

रशीद अहमद पहाड़ी

अेक बटावू भटकै

किशोर कल्पनाकान्त

हिये-चानणो

मेघराज मुकुल

बायरियौ

रेवतदान कल्पित