प्रेम पर दूहा

प्रेम जूण जीवण रौ आधार

है। राजस्थानी प्रेमाख्यान अर पूरी साहित्यिक जातरा में इणरा फूठरा अर सिणगार्‌योड़ा दाखला आपां पढ़ां‌‌‌‌। अठै संकलित रचनावां प्रेम विसै रै ओळै-दोळै रचियोड़ी है‌।

दूहा33

विरह रा दूहा

कुलदीप सिंह इण्डाली

प्रीत रा दूहा

कुलदीप सिंह इण्डाली

कुळ मरजादा कांण

प्रह्लाद सिंह राजपुरोहित

घर, गळियारा, सायना

भागीरथसिंह भाग्य

चिनगी एक जो उपजै

परमानंद बणियाल

काळी कोसां आंतरै

भागीरथसिंह भाग्य

ए वाड़ी ए वावड़ी

कवि कल्लोल

पाती लेज्या डाकिया

भागीरथसिंह भाग्य

ना सुख चावु सुरग रो

भागीरथसिंह भाग्य

भौ सागर मन माछला

परमानंद बणियाल

प्रेम बराबर नाहिं तुल

परमानंद बणियाल

जल थल महियल ढूंढिया

परमानंद बणियाल

सांवण

रेवतदान चारण कल्पित

मोर मतना टहूक

बस्तीमल सोलंकी भीम

दोहा : भरम न झूठा पाळ

राजेंद्र स्वर्णकार

असाढ

रेवतदान चारण कल्पित

वागड़ी दूहा

कैलाश गिरि गोस्वामी