हरती फरती जोवंनियात छोरी नीं
कम्मर वजू
आमरा खतौ
चमनियं नौ धुंवाड़ौ
फैलाई ग्यौ है च्यारै मेरै
दिखियं हैं अवै
मनखं
रूंख
आंगास
पृथ्वी
अर सब
जेंम देखाय मूंडू
आंधा काच मअें
जातं रयं अैना औजरा मअें
हागड़ौ
खाखरौ
टेमण्णी
अडुवौ
अरेंडी नं
लीलंचम रूंख
काणं थई ग्यू आंगास
फूंफाटा मारै सूरज
जणा थकी
हुकाई गई नदी
अर रई गई
रेत’ज रेत।