अेक मायापत सेठ हौ। तिणरै अेकाअेक बेटा री जांन गाजां-बाजां परणीजनै धूमधांम सूं पाछी वळती ही के वै कांकड़ में बिसाई खावण ढबिया। घेर-घुमेर खेजड़ी री जाडी छींयां। सांम्ही हब्बा-होळ हिलोरां भरती नाडी। कमोद री जात निरमळ पांणी। सूरज मथारै चढ़ण वाळौ हौ। जेठी लूवां रा बळता खैंखाड़ बाजता हा। रोट्यां जीम-जूठनै धकै हालै तौ सावळ। वींद रौ बाप घणी मनवार करी तौ सगळा जांनी राजी होय उठै ढबग्या। वींदणी रै सागै पांच डावड़ियां ही। वै तौ सगळी उण खेजड़ी री छींयां में जाजम ढाळ बैठगी। पाखती अेक लांठौ बांवळियौ हौ। पीळै लूंगां छायोड़ौ। रूपा रै उनमांन धौळी हिलारियां। दूजोड़ा जांनी उण बांवळिया री छींयां ढाबली। थोड़ी ताळ बिसाई खायां पछै रोट्यां जीमण रौ सराजांम होवण ढूकौ।

वींदणी अपूठी होय मूंडौ उघाड़ बैठगी। ऊंचौ जोयौ। पतळी-पतळी लीली-चैर लड़ाझूम सांगरियां-ई-सांगरियां। देखतां ईं कोयां में ठाडोळाई वापरगी। सताजोग री बात के उणी इज खेजड़ी में अेक भूत रौ वासौ। अंतर-फुलेल री वभरोळां छक्योड़ौ वींदणी रै उघाड़ा मूंडा सांम्ही जोयौ तौ उणरी आंख्यां चूंधीजगी। कांई लुगाई रौ अैड़ौ रूप अर जोबन व्है? गुलाब रै फूलां रौ कंवळास, सौरम अर वांरौ रस-कस जांणै सांचै ढळ्यौ! देख्यां उपरांत अैड़ा रूप रौ भरोसौ नीं व्है! बादळां रौ ठायौ छोड़ कठै बीजळी तौ नीं अवतरी! आं डाबर-नैणां रौ तौ कीं मापौ नीं! जांणै आखी कुदरत रौ रूप इण उणियारै घुळियोड़ौ। हजारूं लुगायां रौ रूप निरख्यौ पण इण उणियारा री तौ रंगत न्यारी! खेजड़ी री छींयां धुराधुर पळकण लागी! भूत रौ जमारौ सारथक व्हियौ! वींदणी नै लागण रौ विचार आवतां भूत नै पाछौ चेतौ व्हियौ। लाग्यां तौ दुख पावैला! अैड़ा रूप नै दुख देवणौ कीकर आवै! भूत गताघम में अळूझग्यौ! तौ अबारूं देखतां-देखतां वहीर व्है जावैला। पछै! नीं लाग्यां सरै अर नीं छोड्यां मन पतीजै! अैड़ी तौ कदैई नीं पजी। तौ कांई वींद नै लाग जावूं! पण वींद नै लाग्यां ईं वींदणी रौ मन तौ कळपैला। रूप कळपियां नीं बादळ बरसैला! नीं बीजळियां पळकैला! नीं सूरज ऊगैला अर नीं चांद! कुदरत रौ सगळौ रासौ परवार जावैला! भूत रा मन में इण भांत री दया-माया तौ आज पैली कदैई नीं सांचरी! इण रूप नै दुख देवणा बिचै तौ खुद दुख पावणौ घणौ वत्तौ! अैड़ौ दुख कठै पड़्यो! इण दुख नै परसियां तौ भूत री जूंण सुफल व्है जावैला।

सेवट बिसाई रै उपरांत तौ वहीर व्हैणौ इज हौ। वींदणी पगां बाल होय धकै बधी तौ भूत री आंख्यां अंधारौ पाथरग्यौ। रात रा सुभट देखण वाळी आंख्यां आडा अै काच कीकर फिरग्या? मथारै चढ़्या सूरज रा उजास माथै अणछक काळस कीकर पुतग्यौ!

रिमझिम करती वा वींदणी वींद री वेहल में चढ़ी। वींद कितरौ सभागियौ! कितरौ सुखी! भूत रा रूं-रूं में जांणै सूळां खुबण लागी। हीया में जांणै भट्टी चेतन व्हेगी। विजोग री इण दाझ आगै तौ नीं मरणी आवै अर नीं जीवणी। जीवतां दाझ कीकर सहीजै अर मर्‌यां तौ दाझ कठै! भूत रा मन में अैड़ौ अळूझाड़ तौ कदैई नीं गूंथीजियौ! वेहल अदीठ व्हैतां ईं वौ तौ मूरछागत व्हैगौ।

अर उठी वेहल में बैठा वींद रै अळूझाड़ कम नीं हौ। दोय घड़ी व्हैगी खपतां-खपतां पण हाल ब्याव रै खरचा रौ पोतौ नीं मिळ्यौ! भायजी खासा चिड़ैला। खरचौ कीं बेसी व्हैगौ हौ। अैड़ी भूल-चूक सूं वै सोरै-सांस राजी नीं व्है। हिसाब अर बिणज रौ सुख तौ सबसूं लांठौ सुख! बाकी तौ सै पंपाळ। खुदौखुद भगवांन मोटा हिसाबी। जणा-जणा रै सांस रौ पूरौ हिसाब राखै। बिरखा री छांट-छांट रौ, हवा रै रेसा-रेसा रौ अर धरती रै कण-कण रौ वारै पाखती सही पोतौ। कुदरत रा हिसाब में भूल नीं खटै, तद बांणिया री बही में भूल कीकर पोसावै!

लिलाड़ में सळ घाल्यां वींद आंकड़ां रौ जोड़-तोड़ बिठावतौ हौ के वींदणी वेहल री चांदणी उघाड़ बारै जोयौ। चिळकौ पड़ै जैड़ौ आकरौ तावड़ौ! हरियल केरां-केरां कसूंबल ढालू पळकता हा। कित्ता सुहांणा! कित्ता रूपाळा! मुळकता ढालू-ढालू में वींदणी री जोत पोईजगी! वींद री बांह झाल वींदणी अबूझ टाबर री गळाई बोली अेकर बही सूं निजर हटाय बारै तौ जोवौ... अै ढालू कित्ता फूठरा लागै! थोड़ा हेटै उतर धोबा दो-अेक ढालू तौ लाय दौ। देखौ अैड़ी बळती लाय में अै मगसा नीं पड़्या! ज्यूं तावड़ौ तपै त्यूं वत्ता राचै! तावड़ा में कैड़ौ रंग के तौ उड़ जावै के सांवळौ पड़ जावै!

वींद मिनखां जैड़ौ मिनख हौ। नीं घणौ रूपाळौ अर नीं साव कोजौ। भर मोट्यारपणै ब्याव व्हियौ पण ब्याव रौ अणूंतौ कोड नीं हौ! पांच बरस नीं व्हैतौ तौ धक जावतौ अर व्हेगौ तौ घणौ आछौ! कदै-न-कदै व्हैणौ इज हौ। मोटौ कांम निवड़ियौ! नवलखा हार माथै हाथ फेरतौ बोल्यौ— अै ढालू तौ खास गिंवारां रौ खांण। थांनै आंरी हर कीकर आई? खावण री इंच्छा व्है तौ रक्खी मांय सूं खारक-खोपरा काढूं! भावै जितरा खावौ।

वींदणी साव गिंवार निकळी। आड़ौ लेवती व्है ज्यूं वळै कह्यौ—नीं, म्हनै तौ थोड़ा ढालू लाय दौ। राज रौ अणूंतौ गुण मांनूंला। आप फोड़ा नीं खावणी चावौ तौ म्हनै मया बगसाय दिरावौ, म्हैं तोड़ लावूं।

वींद तौ वळै इज बात करी। कह्यौ—आं कांटां सूं कुण बाथेड़ौ करै? निपट जंगळी व्है जका ढालू तोड़ै अर जंगळी व्है जका खावै। मखांणा खावौ। पतासा खावौ। भावै तौ मिसरी अरोगौ। आं गुट्टा-ढालुवां री घरै गियां बात मत करज्यौ। लोग हंसैला।

‘छौ हंसता।’ वींदणी तौ बात कैय अजेज वेहल सूं हेटै कूदगी। फूंदी व्है ज्यूं केर-केर उड़ती फिरी। थोड़ी ताळ में राता-चुट्ट ढालुवां सूं खोळौ भरनै पाछी आयगी। वुगती रा पांणी सूं वांनै सावळ धोया। ठार्‌या। होठां अर ढालुवां रौ रंग अेक सरीसौ। पण वींद नै नीं ढालू आछा लागा अर नीं होठां रौ रंग! वौ तौ हिसाब में अळूझियोड़ौ हौ! वींदणी घणा थोरा कर्‌या, पण वौ ढालू खावण सारू राजी नीं व्हियौ।

वींदणी कह्यौ—राज री इंच्छा। आप-आपरी भावड़ है। म्हारौ तौ अेकर मन व्हियौ के आं ढालुवां साटै गळा रौ नवलखौ हार केर में टांक दूं तौ थोड़ौ!

ढालू खावती वींदणी रै मूंडा सांम्ही देख वींद कैवण लागौ—अैड़ी वेळ बात वळै कदैई करज्यौ मती। भायजी जांणै जित्ती खीझ करैला। वै रूप बिचै लुगाई रे गुणां रौ घणौ आदर करै।

वींदणी मुळकती थकी बोली—अबै सावळ ठाह पड़ी। वांरा डर सूं ईं आप हिसाब में अळूझियोड़ा हौ। पण सगळी बातां आप-आपरी ठौड़ आछी लागै। ब्याव री वेळा हिसाब में रूंधीजणौ, तौ न्याव री बात कोनीं!

वींद कह्यौ—ब्याव व्हैणौ हौ, जकौ व्हैगौ। पण हिसाब तौ हाल बाकी है। ब्याव रै खरचा रौ सगळौ हिसाब संभळाय म्हनै तीज रै सैं दिन दिसावर बिणज सारू सिधावणौ है। अैड़ौ सुभ-मौरत धकला सात बरसां में कोनीं।

पण गिंवार वींदणी इण सुभ-मौरत री खुस-खबरी सुणनै अंगै राजी नीं व्ही! बात सुणतां ढालुवां रौ स्वाद बिगड़ग्यौ। काळजा में डबकौ पड़ग्यौ। कांईं अजोगती बात सुणी! अेकाअेक विसवास नीं व्हियौ। पूछ्यौ—कांईं कह्यौ के आप बिणज करण सारू दिसावर पधारौला? सुणी के आपरी हवेली तौ माया रा भंडार भर्‌या...!

वींद मोद भर्‌या सुर में अंजसतौ बोल्यो—इण में कांई मीनमेख! थैं खुद थांरी आंख्यां देख लीजौ। झालां रै मूंडै हीरा-मोत्यां रा भंवारा भर्‌या। पण माया तौ दिन दूणी रात चौगणी बध्योड़ी इज घणी आछी! बांणियां रौ सिरै धरम बिणज-वौपार! हाल तौ माया घणी बधावणी है। अैड़ौ सांतरौ मौरत टाळणौ कीकर पौसावै?

वींदणी धकै कीं बात नीं करी। बात करण में सार कांई हौ! अेक-अेक करनै सगळा ढालू बारै वगाय दिया, तद वींद मुळकनै कह्यौ—म्हैं तौ थांनै पैला कै दियौ के अै ढालू तौ गिंवारां रौ खांण। अपां बड़भागियां नै आछा नीं लागै। सेवट नीं खावणी आया तौ थांनै वगावणा पड़्या। बळती लाय में सिळगिया जकौ सवाय में!

बात कैय वींद लाय रौ तूमार जोवण सारू वेहल सूं बारै जोवण लागौ। निजर सिळगै जैड़ौ धूंम तावड़ौ। पीळै फूलां छायोड़ा हींगाणियां रा अणगिण झाड़का उणनै अैड़ा लखाया जांणै ठौड़-ठौड़ वासदी री झाळां चेतन व्ही! वींद वळै डोढ़ में बोल्यौ—अबै आं हींगाणियां सारू तौ आड़ौ नीं लेवौ? आं में गुण व्हैता तौ भलां राईका कद छोड़ता...!

वींदणी कीं जबाब नीं दियौ। अबोली बैठी पीहर री बातां सोचण लागी के इण धणी रा जोह रै पांण घर रौ आंगणौ छोड़्यौ। माईतां रौ विजोग सह्यौ। साथणियां रौ झूलरौ, भाई-भतीजा, नाडी री पाळ, गीत, गड्डा, ढूलियां, झुरणी, लुकमींचणी—अै सगळा सुख छिटकाय इण धणी रौ हाथ झाल्यौ। मां रौ खोळौ छोड़ पराया घर री हर कीधी। अर अै तीज रै सैं दिन सुभ-मौरत री घड़ी बिणज सारू दिसावर सिधावणी चावै! पछै बध्योड़ी माया किण सुख सारू? जीवतां कांम आवै नीं। मर्‌यां दाग री गरज साजै नी! किण सुख री आस में लारै आई? किण अदीठ हरख अर संतोख रै भरोसै पराई ठौड़ रौ वासौ कबूल कर्‌यौ? कमाई, बिणज-वौपार, धन अर माया पछै किण दिन वास्तै? असली सुख रा इण सौदा साटै तीनूं लोकां रौ राज हाथ लागै तौ कांईं कांम रौ! दुनिया री सगळी संपत साटै बीत्योड़ौ छिण पाछौ हाथै नीं लागै सो नीं लागै! मिनख माया सारू है के माया मिनख सारू? फगत इणी हिसाब नै सावळ समझणौ है! इण उपरांत वळै किसौ हिसाब बाकी बचै? वळै किण दूजा हिसाब में अळूझणौ घटै? कंचन वत्तौ के काया? सांस वत्तौ के माया? इण सवाल रा पड़ूत्तर में मिनख रा सगळा जबाब पोयोड़ा!

वींद आपरा हिसाब में कळियोड़ौ हौ! वींदणी आपरा सोच में डूबोड़ी ही अर वेलिया आपरी चाल में मगन हा! वहीर व्हियोड़ौ घरै तौ पूगै इज! सेवट सेठां री हवेली मूंडागै जांन आय ढबी। गाजां-बाजां ढोल ढमंकां रै डाकै वींदणी नै बधायां वा मैड़ी में पूगी। उणियारौ निरख्यौ जकौ थुथकी न्हाकी! रूप व्है तो अैड़ौ व्है! रंग व्है तौ अैड़ौ व्है!

सिंझ्या रा मैड़ी में गावा घी रा दीवा झुपिया। घड़ी तीनेक रात ढळियां वींद मैड़ी में आयौ। आतां वींदणी नै सीख री अमोलक बातां समझावण लागौ के वा घर री इज्जत रौ सावळ जाब्तौ राखै। सासू-सुसरा रा हीड़ा करै। आपरी लाज आपरा हाथ में! दोय दिन सारू चौपड़-पासा रमण री हर क्यूं लगावणी! दोय दिन री अंग-रळियां पांच बरसा तांईं फोड़ा घालैला! बरस गुड़तां कांईं जेज लागै! देखतां-देखतां पांच बरस उथप जावैला। पछै कांईं बात री कमी। इज मैड़ी। अै इज दीवा। अै इज रातां। अर इज सेज। वा किणी बात री चिंता नै नैड़ी नीं फटकण दै। पलक झपै इत्ती ताळ में पांच बरस लोप व्है जावैला!

सीख री अै अमोलक बातां वींदणी बोली-बोली सुणती रीवी। कीं कैणौ-सुणणौ अर करणौ तौ उणरै हाथ नीं हौ। धणी री इंच्छा सो उणरी इंच्छा। भायजी री इंच्छा सो बेटा री इंच्छा। लिछमी री इंच्छा सो भायजी री इंच्छा। अर लोभ री इंच्छा सो लिछमी री इंच्छा। सीख री आं बातां में सगळी रात ढळगी! रात रै सागै टिम-टिम खिंवता नवलख तारा ढळग्या!

अर उठी उण खेजड़ी रै वासै मूरछा तूट्यां भूत री आंख्यां खुली। च्यारूं कांन्ही भाळ्यौ। सूनौ कांकड़। सूनी निंदरोही। जाडी खेजड़ी। जाडी छींयां। झूलती सांगरियां। कठै वींदणी? कठै उणरा डाबर नैण? कठै उणरौ रूपाळौ उणियारौ? कठै उणरा गुलाबी होठ? कठै सपनौ तौ नीं हौ? घूंटी रै उपरांत पाछौ चेतौ बावड़ियां उणनै अैड़ौ लखायौ जांणै उणरा छळी मन में सेडाऊ दूध घुळग्यौ व्है! अैड़ौ सूरज तौ आज पैली कदैई नीं ऊग्यौ! गोळ-गट्ट गुलाबी चकरियौ! आखी दुनिया में सैचन्नण। कैड़ी मुधरी-मुधरी हवा चालै? हवा री अदीठ तणियां झूलती अढ़ार हरियाळी! उणरौ मन विध-विध अणगिण रूप धार कुदरत रा कण-कण में सांचरग्यौ!

अरे, आज पैली सूरज तौ इण भांत कदैई नीं आथमियौ! आथूंण दिस में जांणै गुलाल-ई-गुलाल पाथरग्यौ! धरती माथै नीं तौ पळकतौ उजास, नीं गिगन में चांद, नीं सूरज अर नीं अेक तारौ! नीं सुभट अंधारौ। जांणै कुदरत झीणौ घूंघटौ राळ्यौ! उणियारौ दीसै। घूंघटौ दीसै। अबै कुदरत नवी चूंदड़ी बदळी! नवलख तारां जड़ी सांवळी चूंदड़ी! मगसौ-मगसौ उणियारौ दीसै। मगसा रूंख। मगसी हरियाळी। जांणै सपनां रौ बेजौ बुणीजै! पैला तौ कुदरत कदैई अैड़ी आछी नीं लागती! सगळौ वींदणी रै उणियारा रौ परताप!

अर उठी वींदणी रौ धणी उण उणियारा नै पूठ दियां दिसावर रै मारग वहीर व्हैगौ। कड़ियां हीरा-मोत्यां री नौळी। खांधै रक्खी। अर सांम्ही आभै पळकतौ बिणज रौ अखंड सूरज! सुख, लाभ अर कमाई रौ कांईं पार!

हालतां-हालतां वौ उणी खेजड़ी रै गळाकार नीसर्‌यौ। भूत उणनै तुरंत पिछांण लियौ। मोट्यार रौ रूप धार उण सूं जवारड़ा कर्‌या। पूछ्यौ—भाया, हाल तौ कांकण-डोरड़ा नीं खुल्या, इत्तौ वैगौ सिध जावै?

सेठ रै बेटै कह्यौ—कांकण-डोरड़ा किसा दिसावर में नीं खुलै!

भूत खासी भांय साथै चालतो रह्यौ। सगळी बातां जांणली के वौ पांच बरस तांईं दिसावर में बिणज करैला। जे मौरत नीं साजतौ तौ धकलै सात बरस अैड़ौ नांमी मौरत नीं सजतौ। सेठ रै बेटा री बोली-चाली अर उणरै सुभाव री चाहीजती सोय करनै वौ तौ दूजै मारग टळग्यौ। मनांग्यांनां सोचण लागौ के सेठ रै बेटा रौ रूप धार सवारै पाछौ हवेली वळ जावै तौ पांच बरस तांईं कुण पूछणियौ कोनीं। तोजी तौ नांमी जमी! धकै-री-धकै देखी जावैला। भगवांन वीणती सुणी तौ खरी! पछै तौ उण सूं अेक छिण री ढील नीं व्ही। हूबौहूब इक्कीस आंना सेठ रै बेटा रौ रूप धार गांव कांन्ही वहीर व्हैगौ! मन में नीं हरख रौ पार हौ नीं आंणंद रौ!

दोय-तीन घड़ी दिन बाकी हौ तौ खासौ अंधराइजगौ। काळी-पीळी उतरादी आंधी रा गोट-माथै-गोट अड़वड़ता दीस्या। आंधी तर-तर चढ़ण लागी। तर-तर वत्तौ अंधराइजण लागौ। छतै सूरज अंधारौ! हाथ-नै-हाथ नीं सूझै! इण कुदरत नै कैड़ा-कैड़ा सपना आवै! कुदरत रै इण सपना टाळ धरती माथै पाथरियोड़ी पगां हेटली रेत नै सूरज ढकण रौ मौकौ कद हाथ लागै? धरत्यां टिकियोड़ी रेत असमांन में चढ़गी! खेंखाड़-माथै-खेंखाड़ बाजण लागा। भाखर-रा-भाखर उथापै जैड़ी आंधी! थोथी करड़ावण राखण वाळा जंगी रूंख चरड़-चरड़ उथलीजण लागा! लुळताई राखण वाळा कंवळा बांटका अठी-उठी लळाक-लळाक लुळै पण वांरौ कीं नीं बिगड़ै। पगां चींथीजण वाळा घास नै तौ अैल नीं पूगै। सुख-साता पूछती, लाड करती, पंपोळती आंधी माथाकर निकळ जावै! आखी वनराय जांणै पालणै झूलण लागी! पांन-पांन अर कूंपळ-कूंपळ री सावळ संभाळ व्हैगी। मोटा पंछियां रै झपीड़ लागण लागा। छोटा पंछी डाळां सूं चापळनै बैठग्या। उड़णौ दूभर व्हैगौ। आखा असमांन माथै आंधी रौ राज थरपीजग्यौ! च्यारूंमेर खेंखाड़-ई-खेंखाड़। सूरज रा तप-तेज नै धरती री धूळ गिटगी! अजब है इण आंधी रौ नाच! अजब है रेत री घूमर! आखी कुदरत इण घिरोळा में बूरीजगी! सगळौ बिरमांड अेकमेख व्हैगौ! नीं आभौ दीसै, नीं सूरज, नीं भाखर, नीं वनराय अर नीं धरती। निराकार। अगोचर। कुदरत री इण नाकुछ उबासी आगै नीं मिनख रै ग्यांन री कीं जिनात, नीं उणरै आपा रौ कीं ठरकौ, नीं उणरै गुमेज रौ कीं गाढ़ अर नीं उणरी खटपट री कीं बिसात!

कुदरत री कावड़ रौ दूजौ चित्रांम—थोड़ौ-थोड़ौ उजास छितरावण लागौ। हाथ-नै-हाथ सूझण लागौ। तर-तर उजास रौ आपौ पसरण लागौ। होळै-होळै कुदरत री छिब सुभट दीसण लागी। भाखर री ठौड़ भाखर, सोना रा पात जैड़ौ गोळ-गोळ सूरज। रूंखां री ठौड़ रूख। बांटकां री ठौड़ बांटका। हवा री ठौड़ हवा। कांईं टूणौ व्हियौ! के अणछक तड़-तड़ मोटी छांटां रौ मेह बूठौ। छांट-सूं-छांट टकरीजण लागी। परनाळां पांणी ओसरियौ। कुदरत सांपड़ै! उणरौ रूं-रूं धुपग्यौ। नाळां-खाळां पांणी बहण लागौ। जळबंब-ई-जळबंब! सांपड़ती कुदरत नै निरख्यां सूरज रौ उजास सारथक व्हियौ!

भूत सोचण लागौ के थोड़ी ताळ में कांई नजारौ परगट व्हियौ? देख्यां पछै विसवास नीं व्है जैड़ी कुदरत री कैड़ी चाळचोळ! कांईं व्हियौ! कीकर व्हियौ! कठै उणरै मन री आंधी इज तौ इण विध बारै नीं प्रगटी? कुदरत रौ खिलकौ उणरा मन में ईं तौ दपटियोड़ौ नीं हौ? इण भरम री चोळ में वौ खाथौ-खाथौ चालण लागौ। मन में जुगत विचारतौ जावतौ अर मारग वैवतौ जावतौ।

वौ पाधरौ हवेली नीं जाय पैला सेठां री पेढ़ी पूगौ। नांवौ-लेखौ करता सेठ बेटा नै देख्यौ तौ अेकाअेक वांरौ मन नीं मांन्यौ। दिसावर सिधायोड़ौ बेटौ पाछौ आयौ तौ आयौ इज कीकर? आज पैली कदैई कैहणौ नीं लोप्यौ। ब्याव व्हियां उपरांत मिनख कांम रौ नीं रैवै! आंटौ सेठांणी साज्यौ! व्हा, अबै व्हैगी कमाई! के तौ बिणज री हाजरी साजलौ कै लुगाई री!

बाप रै होठां आयोड़ी बात नै बेटौ बिना कह्यां ईं समझग्यौ। हाथ जोड़नै बोल्यौ—पैला आप म्हारी बात तौ सुणौ! बिणज री सला-सूत करण सारू पाछौ आयौ हूं। जे आपरी इंच्छा नीं व्हैला तौ घरै गियां बिना पाछौ वळ जावूंला। मारग में समाघ लाग्योड़ा अेक महात्मा रा दरसण व्हिया। आखा डील माथै उदई रा ढेपा थेथड़ीजियोड़ा। म्हैं सुथराई सूं उदई झाड़ी। हाथां सींच संपाड़ौ करायौ। पांणी पायौ। रोट्यां जीमाई। तद महात्मा राजी होय म्हनै वरदांन दियौ के तड़कै पिलंग सूं हेटै उतरतां म्हनै पांच मोहरां नित हमेस मिळ जावैला। दिसावर रौ मतौ व्हैतां वरदांन नीं फळै। अबै आप हुकम फरमावौ ज्यूं करूं।

अैड़ा अणचीता वरदांन रै उपरांत जकौ हुकम व्हेणौ हौ वौ इज व्हियौ। सेठ राजी-राजी मांनग्या। सेठ राजी व्हैगा तौ सेठांणी अणूंती राजी व्हैगी। अेकाअेक बेटौ आंख्यां रै सांम्ही रैवैला। अर कमाई री ठौड़ कमाई रौ जुगाड़ व्हैगौ। वींदणी नै हरख रै सागै इचरज अर मोद व्हियौ के अैड़ौ रूप छोड़नै कोई दिसावर जा सकै भलां! तीजै दिन पाछौ आवणौ पड़्यौ!

दुकांन रौ नांवौ-लेखौ अर ब्याळू करनै धणी तौ दोय घड़ी रात ढळियां मैड़ी में आय सूयग्यौ। च्यारूं खुणै घी री पीलजोतां झुप्योड़ी ही। हींगळू ढोलियौ। सेजां फूल बिछ्योड़ा। अैड़ी उडीक सूं वत्तौ कीं आंणंद नीं! रिमझोळां री रिम्मांझिम्मां रणक सुणीजी। इण रणक सूं ऊंचौ कीं नाद नीं! सोळै सिणगार सजियोड़ी वींदणी मैड़ी में आई। इण निजर सूं वत्ती कीं जोत नीं! आखी मैड़ी में अंतर-फुलेल री वभरोळां फूटगी। इण सुगंध सूं ऊंची कीं सौरम नीं! वभरोळ तौ उण खेजड़ी रै वासै मन में चम चाळिया हा। अर आज परतख मैड़ी में निजरां रौ मेळौ व्हियौ। इत्ती वैगी मन जांणी व्है जावैला, इणरौ तौ सपना में बेरौ नीं हौ।

वींदणी निसंक पसवाड़ै बैठगी। घूंघटी कांईं उघाड़ियौ, जांणै तीनूं लोकां रौ सिरै आंणंद दीप-दीप करै! इण रूप री तौ छींयां पळकै! वींदणी मुळकती थकी बोली—म्हैं जांणती के थैं आधेटा सूं पाछा पधारौला। तारां जड़ी रात इण टांणै धकै नीं बधण दै! इण हूंस रा धणी हा तौ म्हारै मन परबारा सिधाया क्यूं? म्हारी पूज साची व्ही!

बात सुणतां ईं धणी रा मन में वतूळिया रौ गोट ज्यूं ऊठियौ। इण सेढ़ावू दूध में कादौ कीकर घिरोळै? इणनै छळणा सूं वत्तौ तौ कीं पाप नीं! तौ असली धणी जांणनै इत्ती राजी व्ही। पण इण सूं माड़ौ झूठ वळै कांईं व्है! तौ झूठ री छेहली माठ! इण अबूझ प्रीत सागै कीकर घात करै? प्रीत कर्‌यां उपरांत भूतां रौ मन धुप जावै। कोई आड़ी रौ व्है तौ छळ-बळ रौ जोर जतावै। पण नींद में सूता रौ गळौ सूंतणा सूं तौ तरवार रौ मांन घटै!

भूत थोड़ौ आघौ सिरकनै बोल्यौ—कांईं ठाह पूज साची व्ही के नीं! पैला पूरौ पतियारौ तौ करलौ के म्हैं कोई दूजौ मिनख तौ नीं हूं। कठै छळ-बळ सूं थारै धणी रौ रूप धरनै तौ नीं आयग्यौ...?

वींदणी बात सुणतां ईं पैला तौ थोड़ी चिमकी। पछै आकरी मीट गड़ाय हींगळू ढोलिये बैठा मोट्यार नै भर निजर जोयौ। सागै वा-री-वा निजर। वा-री-वा बोली। तुरंत समझगी के धणी उणरै सत री परख करणी चावै। मुळक रौ उजास छितरावती बोली—नींद रै सपनै पराये मोट्यार री छींयां नीं भेटू, तद जागती आंख्यां बात कद व्हैणी! म्हारै सत रा जोर सूं दूजौ मिनख व्हैतौ तौ कणा भसम व्है जावतौ।

पैला तौ वींदणी री बात भूत रै हीये अणूंती साल्ही। होठां आयोड़ी बात नै तुरंत पाछी गिटग्यौ के जद तौ उणरा सत में घणी खोट है। वौ भसम व्है जावतौ तौ उणरौ सत साचौ। पण साचांणी दूजौ मिनख व्हैतां थकां ईं वौ भसम नीं व्हियौ तौ उणरौ सत अंगै बुझ्योड़ौ। पण धकलै छिण बात रौ दूजौ नाकौ सोचतां ईं उणरी भळकी ठाडी पड़गी। वौ सांम्ही अणूंतौ राजी व्हियौ। सोचण लागौ के फगत उणियारा सूं ईं कांई व्है! साचौ धणी व्हैतौ तौ बिणज रा लोभ में लुगाई री माया छोड़तौ भलां! कांई विजोग देवण सारू वौ चंवरी में हाथ झाल आपरै लारै लायौ? कोई आंधौ इण रूप रा झबका नै नीं छोड़तौ। तद वौ सूझतौ होय कीकर आंधी बण्यौ? फेरा खाया तौ कांईं व्है, उणरी प्रीत में साच कठै? अर भूत होय इण सूं साची प्रीत करी। छळ करतां जीव कठमठौ व्है! इणरी प्रीत साची। इणरौ हेत खरौ। जद इज तौ दोनां रौ सत बचग्यौ। पण तौ माहौमाह चोज राख्यां प्रीत रै ठबक लागैला। असली बात बतायां टाळ वौ इण मैड़ी में सांस नीं लै सकै। पाछौ पाखती सिरकनै कैवण लागौ—सांचाणी दूजौ आदमी व्हैतां थकां ईं, थांरौ सत है तौ खरौ, क्यूंके म्हारी प्रीत साची। चंवरी रै साचैला धणी री प्रीत झूठी, जद इज तौ वौ अैड़ा रूप नै पूठ देय बिणज सारू दिसावर ढळग्यौ!

पण वींदणी साच-झूठ री कीकर पिछांण करै? अै बातां उणरै अंगै समझ बैठी नीं। घर रा माईत जिणनै आपरौ बेटौ जांणै, उण हूबौहूब उणियारा वाळा मोट्यार नै आपरौ धणी मांनणा में कांईं संकौ! उणियारौ अर रंग-रूप तौ सगळा नाता री मोटी पिछांण!

तठा उपरांत वौ भूत वींदणी नै ही जकी सगळी साची बात बताय दीवी के उण खेजड़ी रै वासै उणरौ रूप देख्यां उणरी कांईं हालत व्ही! वहीर व्हियां कीकर मूरछागत व्हियौ! पाछौ कद चेतौ बावड़ियौ। दिसावर जावता धणी रै सागै वौ कांईं-कांईं बातां करी। पछै उणरौ रूप धार कीकर इण हवेली आवण रौ मतौ कर्‌यौ। मारग चालतां आंधी-मेह री बात पूरी विगतवार बताई। वींदणी काठ री पूतळी रै उनमांन गुमघांम बैठी सगळी वात सुणती रीवी। कांईं बात सुणण सारू वेमाता उणनै कांन दिया...?

उणरी कळाई माथै हाथ फेरतौ भूत कैवण लागौ—माईतां नै तौ नित-हमेस पांच मोहरां अर पेढ़ी री कमाई रौ कोड है, साचा भेद सूं वांनै कीं वास्तौ नीं। पण थांनै भेद परगट नीं कर्‌यां तौ प्रीत रै उणियारै काळस फिर जावती! म्हैं भेद नीं बतावतौ तौ पांच बरस तांईं थांनै सपना में इण बात रौ खुलासौ नीं व्हैतौ। थैं तौ असली धणी जांणनै घरवास करता। पण म्हारौ मन नीं मांन्यौ। म्हैं म्हारा मन सूं साची बात कीकर लुकावतौ? इण पैली घणी लुगायां रै डील में लाग-लाग वांनै अणूंतौ दुख दियौ, पण म्हारा मन री अैड़ी गत तौ कदैई नीं बिगड़ी! रांम-जांणै इत्ती दया-माया म्हारा मन में कठै बूरियोड़ी ही? इण उपरांत थांरी इंच्छा नीं व्हैला तौ म्हैं उणी पलक पाछौ वहीर व्है जावूंला। जीवूं जित्तै इण दिस सांम्ही मूंडौ नीं करूं। थांनै कळपाय म्हनै प्रीत रौ अैड़ौ स्वाद नीं लेवणौ! तौ जीवूंला जित्तै गुण मानूंलां के थांरी प्रीत रै कारण म्हारै हिवड़ा रौ विस इमरत में बदळग्यौ! लुगाई रै रूप री अर पुरख रै प्रेम री इज तौ छेहली मरजाद!

रूप री पूतळी रा होठ खुल्या। बोली—हाल बात म्हारी समझ में नीं आई के भेद परगट नीं व्हियां सावळ रैवतौ के परगट व्हियां सावळ रह्यौ! कदैई तौ बात सांतरी लागै अर कदैई वा बात आछी लागै!

वींदणी री आंख्यां में मीट गडाय भूत कैवण लागौ—बांझ जच्चा री चसमस पीड़ में कांईं समझै? इण पीड़ में कूख रौ सिरै आंणंद बसै! साच अर कूख रै छूटापा री पीड़ अेक सरीसी व्है। इण साच रै छिपावणा में नीं तौ पीड़ ही अर नीं आंणंद हौ। वौ तौ फगत साच री भरम व्हैतौ! आंणंद री स्वांग व्हैतौ! म्हैं केई लुगायां नै लाग्यौ तद कठै साच रै भरम री सावळ पिछांण व्ही! म्हैं केई अैड़ी सती लुगायां नै जांणूं जकौ अंगरळियां री वेळा धणी रै उणियारै किणी दूजा मिनख नै ध्यावै! यूं कैवण नै तौ वै पराया पुरख री छींयां नीं भेटै, पण धणी रै मिस दूजा उणियारा रा ध्यांन में कित्तौक कांईं सत है—इणरी असली पिछांण जित्ती म्हनै है, उत्ती खुद वेमाता नै कोनीं! सती लुगायां रै चरित रा चाळा म्हैं घणा-घणा दीठा! डर तौ सगळौ लौकीक रौ व्है! किणी नै कदैई ठाह नीं पड़ै तौ खुदौखुद भगवांन पाप करतौ नीं संकै! अबै ज्यूं रावळी मरजी व्है, मंसा दरसावौ, म्हैं तौ भूत होय कीं बात अछांनी नीं राखी!

अैड़ी आडी तौ आज पैली किणी लुगाई है सांम्ही नीं पजी व्हैला! आपरै मतै रुळपट सुभाव री तौ गत न्यारी! पराई लुगाई अर पराया मोट्यार सारू मन ताखड़ा तोड़ै पण लौकीक री मरजाद सारू ढकणौ उघाड़्यां नीं धकै! पण ढकणा रै मांय सीझै सो सिरै! सोच-विचारनै अैड़ी बात रौ पड़त्तर देवणौ कित्तौ दूभर! वींदणी इण भांत गुमघांम बैठी रीवी, जांणै बोलणौ भूल गी व्है। इत्ती बातां सुण्यां पछै वा साव गूंगी व्हैगी!

वींदणी री समझ में अचीतौ सेजौ बावड़ियौ। वा सोचण लागी—जलमतां, थाळ री ठौड़ घर में छाजळौ बाज्यौ। घरवाळा घणा राजी नीं व्हिया। बेटौ व्हैतौ तौ वत्ता राजी व्हैता। माईतां री निजर में उखरड़ी बधतां वार लागै तौ बेटी रौ डील बधतां वार लागै! दसमौ बरस उतरतां ईं तौ माईत पीळा हाथ करनै पराई करण री चिंता करण लागा। नीं आंगणै मावती अर नीं गिगन में! छाछ अर लाछ मांगण री कैड़ी मेहणी! सगपण माथै सगपण आवण लागा। उणरै रूप रौ हाकौ चौफेर हवा में घुळग्यौ हौ। सोळै बरस तौ लेवणा दूभर व्हैगा। मां री कूख में मायगी पण माईतां रै आंगणै नीं माई! अणछक इण हवेली रौ नारेळ आयौ। म्हारा बड़भाग के माईत सावौ कबूल कर लियौ। हवेली नीं होय, कोई दूजी गवाड़ी व्हैती तौ उणनै उठै सिधावणौ पड़तौ। माईतां री मरजी व्हैती उण सूं ईं हथळेवौ जुड़तौ! धणी बिणज अर लेखा-जोखा में मगन। उणरी आंख्यां हांडी रौ पींदौ वैड़ौ अर लुगाई रौ उणियारौ वैड़ौ! तिड़तौ जोबन वैड़ौ अर तिड़ती खड़ियां ईं वैड़ी! नीं वेहल में लुगाई रै मन री बात समझ्यौ अर नीं मैड़ी में! मैड़ी सूनी अर सेज अलूणी छोड़ वौ तौ आपरै बिणज ढळियौ। पाछौ मुड़नै नीं जोयौ। अर आज भूत आळी प्रीत रौ चांनणौ व्हियां तौ सूरज मगसौ पड़ग्यौ! हथळेवा रौ परण्यौ माडै वहीर व्हियौ तौ इणरौ बस पूगौ नीं। भूत आळी इण प्रीत आगै उणरौ बस कठै पूगौ! जावतां नै बरज नीं सकी तौ पछै मैड़ी आया नै कीकर बरजै? प्रीत री बात करै तौ कांनां डूंजा कीकर घालीजै? धणी होय इण विध अधर लटकाई! भूत होय इण विध प्रीत दरसाई! कीकर नटणी आवै? जे सपना बस में व्है तौ अैड़ी प्रीत बस में व्है! वा तौ आपरौ चेतौ बिसर भूत रा खोळा में गुड़गी।

कांईं उणरै मन रौ भूत नीं हौ जकौ साकार रूप धरनै प्रकट व्हियौ? पछै आपरा मन सूं कैड़ौ चोज! जठै वांणी अड़ै उठै मूंन कांम सारै! तठा उपरांत कीं कैणौ-सुणणौ बाकी नीं रह्यौ। मतै अेक दूजा रै अंतस री बात समझग्या। पछै दीवां रौ चांनणौ लोप व्हैगौ अर अंधारौ उजास रौ रूप धार जगमग-जगमग करण लागौ! सेजां कुम्हळायोड़ा फूलां री पाछी कळी-कळी खिलगी! मैड़ी रौ चांनणौ सुफळ व्हियौ! मैड़ी रौ अंधारौ सुफळ व्हियौ! गिगन रै नवलख तारां रौ आपै उजास बधग्यौ!

अैड़ी लाखीणी रातां में दिन जावतां कांईं वार लागै! चिमट्यां रै समचै दिन बीतण लागा। घणौ बिणज बध्यौ। घणी बोरगत बधी। घणौ मांन बध्यौ। माईत तौ राजी हा जका हा इज, आखौ चौखळौ सेठां रै बेटा सूं अणूंतौ राजी हौ। अड़ियै-बड़ियै कांम आवतौ। दूजा बांणिया है उनमांन गळा नीं करतौ। निपट काछदृढ़ौ। पेढ़ी आई लुगायां रै सांम्ही ऊंचौ मूंडौ करनै नीं जोवतौ। छोटी नै भांण अर मोटी नै मां सस्तै जांणतौ। लोग उणरौ नांव लेवता तौ मूंडौ भरीजतौ। उण में फगत अेक बात री खांमी के दिसावर सूं सेठां रै बेटा रा कागद आवता तौ वौ फाड़ वगाय देवतौ। पाछौ कीं पड़त्तर नीं।

इण आंणंद अर जस रै बिचाळै देखतां-देखतां तीन बरस बीतग्या। जांणै मीठौ सपनौ बीत्यौ! भूत इण हवेली रळमिळग्यौ। जांण सेठां रौ सगौ बेटौ इज व्है। वींदणी मैड़ी रा नसा में गैळीजियोड़ी ही। मैड़ी री उडीक में ऊगतां ईं दिन आथम जावतौ। मैड़ी चढ्यां अेक छिण में रात ढळ जावती!

वींदणी रै आसा मंडी। तीजौ महीनौ उतरण वाळौ हौ। आधांन रह्यौ तद खुद सेठजी सवा मण गुळ आपरा हाथ सूं बेंट्यौ। लोगां सवा मण सोनौ जांणनै हथाळियां मांडी। सेठजी ऊमर में पैली वळा दातारपणौ दरसायौ। आज हाथ खुलियौ तौ धकै वळै कीं-न-कीं चांनणौ व्हैला! बेटौ अर वींदणी छांनै ओलै घणौ दांन कर्‌यौ। हरख रै नवलख तारां बिचाळै अबै नवौ चांद जुड़ैला। कूख रौ चांद गिगन रै चंदरमा सूं सदा सवायौ!

दोनूं धणी-लुगाई नै बेटी री अणूंती चावना ही। घणा-घणा लाड-कोड करैला। बेटौ, किसौ सरग लै जावै! रांम-जांणै किणरी ओळ जावैला? टाबर रा जलम बिचै टाबर होवण रा कोड में घणौ आंणंद व्है! कूख में टाबर रै सागै सपना पळै!

बड़गड़ां-बड़गड़ां दिन उड़ण लागा। पांच महीना बीत्या। सात महीना संपूरण व्हिया। नवमौ महीनौ उतरण वाळौ। वींदणी आखै दिन मैड़ी में सूती रैवै। तीन-तीन दायां हाजरी में। अस्टपौर सुजाग रैवै।

धणी रै खोळा में सूती-सूती वींदणी ऊंचौ मूंडौ करने बोली—केई वळा सोचूं—जे उण दिन खेजड़ी रै हेटै बिसाई खावण नीं ढबता तौ राम-जांणै म्हारा अै च्यार बरस कीकर ढळता? म्हनै तौ लागै के ढळता नीं!

भूत बोल्यौ—थांरा तौ ज्यूं-त्यूं करनै दिन सिरकता ई। पण म्हारा कांईं दीन व्हैता? बांटकै-बांटकै, खेजड़ी-खेजड़ी भूत री जूंण पूरी करतौ। उण दिन सुमत वापरी के म्हैं थांनै लाग्यौ कोनीं। म्हनै तौ हाल विसवास नीं व्है के साचांणी जीवण रौ आंणंद भोगूं के सपनौ जोवूं!

चीकणै कंवळै केसां आंगळियां फेरतां-फेरतां रात पितळगी!

उठी अळगै दिसावर वींदणी रौ परणियौ झांझरकै घड़ी रात थकां बैठौ व्हियौ। आळस मरोड़, उबासी खाय दीवड़ी सूं ठाडौ पांणी पीयौ। च्यारूं खुणा भाळियौ। अेक सरीसौ अंधारौ। झब-झब करता अेक सरीसा तारा। किणी खुणै चांनणौ कोनीं। सोचण लागौ के रात वळै खासी छोटी व्हैती तौ कितरौ सखरौ! कांईं जरूत है, इत्ती लांठी रात री? सूवणा-सूवणा में आधौ जमारौ बिरथा जावै! नींद में तौ बिणज-वौपार व्है कोनीं! नींतर दूणी कमाई व्हैती। तौ माया कम भेळी नीं करी। भायजी जांणै जित्ता राजी व्हैला।

बिचाळै आखती-पाखती रा साहूकार मिळ्या। उणनै उठै देख्यां अणूंतौ इचरज कर्‌यौ। पूछ्यौ के वौ गांव छोड़ पाछौ कद आयौ? बात सुण उणनै कम अचंभौ नीं व्हियौ। कह्यौ के वौ तौ हाल गांव कांन्ही मूंडौ नीं कर्‌यौ। वै काला तौ नीं व्हैगा! लोगां बध-बधनै कह्यौ, मांडनै सगळी बात बताई तौ उणनै विसवास नीं व्हियौ। वौ अठै है तौ कोई दूजौ सेठां रौ बेटौ कीकर बण सकै? कमाई ईवै कोनीं, जिण सूं खपचा में न्हाकणी चावै! पण वौ अैड़ौ भोळौ कोनीं। वांरा कांन कतरै जैड़ौ है! कमाई अर बिणज में वत्तौ मन लगावण लागौ!

पण आज तौ सूरज री उगाळी अेक खास पाड़ौसी समंचार दिया के वींदणी रे तौ जापौ होवण वाळौ है! कदास व्हैगौ व्है!

सेठां रौ बेटौ बिचाळै बोल्यौ—जे अैड़ी बात व्हैती तौ घरवाळा अवस म्हनै समंचार पुगावता। म्हैं तौ पांच-सात कागद भिजवाया। म्हनै तौ पाछौ अेक रौ पड़त्तर नीं मिळियौ।

पाड़ौसी कह्यौ—भला मिनखां, थोड़ौ सोचौ तौ खरी के घरवाळा क्यूं समंचार पुगावै? किणनै पुगावै? बेटौ तौ तीजै दिन आधेटा सूं पाछौ आयग्यौ। अेक महात्मा रै दियोड़ा मंतर सूं सेठां नै नित पांच मोहरां परखावै! हवेली तौ रांम राजी है! तापड़धिन्न उड़ै! मैड़ी में घी रा दीपा झुपै! हां, अबै सावळ जाच पड़ी के सेठां रै बेटा रौ हूबौहूब आप सूं उणियारी मिळै! वेमाता री कुदरत! खुद सेठ देखता तौ ओळख नीं सकता। अबै बातां कर्‌यां सावळ ठाह पड़ी के उणियारौ तौ अवस मिळै पण आप दूजा हौ!

‘भलां, म्हैं दूजौ कीकर व्हियौ? अबै दीसै के काल-पिरसूं ईं सिधावणौ पड़ैला।’

सो वौ सेठां रौ बेटौ बिणज-वौपार संवेट, मुनीम नै भुळावणां देय, आपरै गांव वहीर व्हियौ। वौ जेठ रौ महीनौ। लूवां रा खेंखाड़ बाजता हा। अणछक केरां माथै राता-राता ढालू देख, उण दिन वाळी बात याद आयगी। सोच्यौ— वींदणी री जे अैड़ी भावड़ है तौ अपांरौ कांईं लियौ। किसा टका लागै! पाक्योड़ा ढालू तोड़नै गमछा रै पल्लै बांध्या।

वौ हवेली पूगौ जणा आंगणै लुगायां रौ मेळौ मच्योड़ौ। सेठ-सेठांणी हाबगाब व्हियोड़ा पूज-माथै-पूज बोलता हा। भूत आळौ धणी मैड़ी रै बारणै ऊभौ हौ! विलखौ-विलखौ। दुमनौ-दुमनौ। वींदणी साळ रै मांय टसकती ही। कस्टिजियोड़ी! अवंळौ आयग्यौ हौ। दायां आपरा हुनर में रूधोड़ी ही।

के इत्ता में चौक री इण चकचक रै बिचाळै चंवरी रौ परण्यौ धूळ में भखभूर व्हियोड़ौ निसंक आंगणै आय ऊभग्यौ। खांधै ढालुवां रौ गमछौ टिरतौ हौ। माईतां रै चरणां माथौ निंवाय दंडौत करी। कांई खिलकौ? हूबौहूब बेटा सूं उणियारौ मिळै! खंख सूं भर्‌योड़ौ व्है तौ कांईं व्हियौ! माया रै लोभ कोई छळी छळावौ तौ नीं करै! अणूंतौ इचरज अबोलौ व्है! माईत बोलणी चायौ तौ वांरा सूं बोलीजियौ कोनीं। लुगायां री चकचक रौ राग बदळग्यौ। हे मावड़ी... अेक उणियारै रा दोय धणी! कुण साचौ, कुण कूड़ौ? कांईं रासौ, कांईं तोतक? कोई कठी नै न्हाटी, कोई कठी नै न्हाटी!

साळ रै मांय लुगाई रौ टसकणौ सुण, तुरंत सगळी बात समझग्यौ के सुण्या सो समंचार साचा! अैड़ौ छळ कुण कर्‌यौ? कीकर व्है इणरी पिछांण? लोग किणरै कह्या रौ भरोसौ करैला! अचांणचक मैड़ी रै बारणै ऊभा मोट्यार माथै उणरी निजर पड़ी। तौ साचांणी उणरौ हूबौहूब उणियारौ! छळी रा छळ नै कुण पूगै? नसां रौ लोही ठसग्यौ। भलां, बात कांई व्ही?

प्रीत वाळा धणी रै कांनां तौ फगत जच्चा रौ टसकणौ गूंजतौ हौ! उणनै तौ किणी दूजी बात रौ कीं चेतौ नीं हौ। हवा थमगी ही! सूरज थमग्यौ हौ! कद टसकणौ बंद व्है अर कद कुदरत रौ पेंखड़ौ छूटै!

बाप रै मूंडा सांम्ही देख बेटै कह्यौ—म्हैं तौ च्यार बरसा तांईं अळगै दिसावर हौ, पछै ठाह नीं पड़ी के वींदणी रै आधांन कीकर रह्यौ? थांनै थोड़ौ-घणौ तौ समझ सूं कांम सारणौ हौ!

सेठ मनांग्यांनां सगळौ हिसाब समझ लियौ। बोल्या—थूं है कुण? म्हारौ बेटौ तौ तीजै दिन पाछौ आयग्यौ! अठै नागायां कीधी तौ पार नीं पड़ैला!

बाप रै मूंडै बात सुणनै बेटा नै अणूंतौ अचंभौ व्हियौ। ढबण सूं बातड़ी परवार जावैला। तुरंत बोल्यौ—च्यार बरस जांणै जित्ती कमाई करनै दिसावर सूं बाप रे घरै आयौ, इण में नागाई री किसी बात! थैं इज तौ माडै घोदाय मेल्यौ हौ!

सेठ कह्यौ—नीं चाहीजै म्हारै अैड़ी कमाई! थूं म्हनै कमाई रौ कांईं छिग बतावै? आयौ उणी मारग पाधरौ-पाधरौ ढळ जाजै, नींतर भूंडी बीतैला!

बाप रौ तौ माथौ भंवग्यौ दीसै। वौ मां रै मूंडा सांम्ही देख कैवण लागौ—मां, कांईं थूं ईं जलम दियोड़ा बेटा नै नीं ओळखै?

मां इण सवाल रौ कांई पड़्त्तर देवती? उणरी जीभ तौ जांणै ताळवै चेंटगी। वा तौ टुग-टुग धणी रै सांम्ही जोवण लागी। मां कीं जबाब नीं दियौ तौ बेटौ गताघम में अळूझग्यौ। अणछक ढालुवां री बात याद आई। हळफळायौ होय तुरंत गमछौ खोल्यौ। राता-राता ढालू बाप रै मूंडागै करतौ बोल्यौ—वींदणी नै उण दिन रै ढालुवां री बात पूछौ। वा सगळौ म्यांनौ बताय देवैला। उण दिन तौ वा खुद ढालू तोड़नै खाया हा। आज म्हैं म्हारै हाथां तोड़नै लायौ। अेकर उणनै पूछौ तौ खरी। आप फरमावौ तौ म्हैं बारै ऊभौ पूछ लूं।

सेठां नै भळकी आयगी। बोल्या—कालौ कठा रौ ई! वेळा ढालुवां री बात रौ म्यांनौ पूछण री है? वींदणी रै जीव री पड़ी अर थन्नै म्यांना रौ बळौ! आघा बाळ थारा ढालुवां नै! म्हैं तौ वेळ बात सुणतां ईं सगळी म्यांनौ समझग्यौ। मायापत सेठां री वींदणी गिंवारां री गळाई हाथां तोड़नै ढालू खावैला? माजना सूं बोलौ—बोलौ उखल जा, नींतर बेभाव रा लिगतर पड़ैला!

बेटै कह्यौ—बाप रै लिगतरां रौ तौ कीं सोच कोनीं, पण साचांणी म्हैं ईं उण दिन वेहल में आ-री-आ बात करी ही!

साळ रै मांय वींदणी रौ उणी भांत टसकणौ चालू हौ। दायां घड़ी-घड़ी पूछ्यौ तौ वा अंवळौ वाढ़ण सारू घड़ी-घड़ी नटती इज गीवी। नीठ मरतां-मरतां छूटापौ व्हियौ! वींदणी री आंख्यां आडी कदैई तौ अंधारी छाय जावती, कदैई बीजळियां झबूकण लाग जावती!

चौक सूं न्हाटी लुगायां रै मूंडै बात अैड़ी उफणीजी के घर-घर में कचकचाटौ माचग्यौ। देखतां-देखतां सेठां री हवेली रै ओळूं-दोळूं मिनखां रौ मेळौ भरीजग्यौ। अैड़ी अजोगती बात रौ स्वाद तौ जीभ नै बरसां उपरांत नीठ हाथ लागै! जणा-जणा री जीभ रै पांखां लागगी ही! अेक उणियारा रा दोय धणी! अेक तौ च्यार बरसां पैली मैड़ी चढ़ग्यौ! अर अेक च्यार बरसां केड़ै घरवास करण सारू आयौ। वींदणी साळ में जापा री पीड़ सूं टसकै। जबर खिलकौ व्हियौ! देखां मायापत सेठ इण बात नै कीकर केवटै! कीकर ढकै! भलां, अैड़ी बातां रै ढकणा कुण ढाकण दै? लोग चिगळ-चिगळनै वळै चिगळता!

सेठ हवेली रै च्यारूं कांन्ही घसकौ देख्यौ तौ तरणाटी आयगी। थूक उछाळता कैवण लागा—म्हारै घर री बात है, मतै सलट लेस्यां। बस्ती वाळा क्यूं पंचायती करै? म्हैं कैवूं के पछै आयौ जकौ मिनख छळी है। म्हारै चाकरां सूं थड्डा देय बारै निकाळ देस्यूं। धौळै दोपारां नागायां नीं चालै!

बेटौ कूकियौ—भायजी, थैं यूं कांईं काली बातां करौ! सूरज नै तवौ अर तवा नै सूरज बतावौ! थैं ज्यूं चावौ त्यूं म्हारौ पतियारौ लै लौ। तौ हळाहळ अन्याव है!

मायापत सेठां री पंचायती रौ अैड़ौ मौकौ फेर कद आवैला! लोग-बाग अड़ग्या के खरी पंचायती व्हैणी चाहीजै। दूध-रौ-दूध अर पांणी-रौ-पांणी! कसूरवार नै पूजतौ डंड मिळै। यूं दोय धणियां रौ धारौ पड़ग्यौ तौ कीकर धकैला? अमीरां रै तौ कांईं कोनीं, पण गरीबां रौ जीवणौ हरांम व्है जावैला! बस्ती सूं टळियां नीं सरै! कित्तौ माया रौ ठरकौ व्हौ, खांधिया भाड़ै नीं आवैला!

मांमलौ तणियौ-पण-तणियौ! जबर पजी! कुण नीची नीं न्हाकी। नीं सेठजी अर नीं बस्ती रा सगळा लोग। लोगां रै मूंडा हा अर वींदणी रै कांन हा तौ उणनै साळ रै मांय सगळा समंचार पूगग्या। लुगाई रै जमारै राम-जांणै कांईं-कांईं बातां सुणणी पड़ैला! सेवट अेक दिन खगडौ तौ व्हैणौ इज हौ। अै चार बरस तौ सपना रै उनमांन लोप व्हैगा। भलां सपनां रौ कित्तौक थावस! अर कित्तीक इण री जड़ ऊंडी!

किणी जूना ढमढेर में चमचेड़ां री गळाई मांनखौ अठी-उठी चकारा देवण लागौ। पंचायती निवड़ियां टाळ तौ कवौ गळै नीं उतरै!

साळ रौ आडौ उघाड़ दायां समंचार दिया के वींदणी रै गीगली व्ही। मौत री विकट घाटी टळी। जच्चा रै मरणा में तौ कीं खांमी नीं ही। बचगी सो भाग री। साळ रै बारै अड़थड़ती लुगायां नै बाळ-साद सुणीजियौ। मैड़ी रै बारणै ऊभा धणी नै अबै जावतां चेतौ व्हियौ। पण चेतौ बावड़तां ईं जकी सुरपुर कांनां सुणीजी तौ जांणै काळजा में अणचीती सुरंग छूटी! सुध-बुध माथै जांणै वांण बहग्यौ। अेक बरस पैला बीजळी कीकर पड़ी!

सेठ-सेठांणी बगना व्हियोड़ा आक-वाक ऊभा हा। आखी बस्ती में कळळाटौ कचबचग्यौ! कैड़ौ-अचीतौ अड़दू उपजियौ! काळ-पूंछियौ, काळ रौ खाधौ अचाचूक किण भौ रौ आंटौ साजियौ! बात तौ कराड़ां बारै व्हैगी। अबै कीकर सलटणी आवै? कुण जांणै, कुण दाव-घाव कर्‌यौ। मैड़ी तौ लारला चार बरसां सूं भिळै! इणनै नीं अंगेजियां तौ हवेली री लाज भिळ जावैला। ढालू वाळौ धणी कीकर मांन जावै तौ ढाकौ ढक्योड़ी रैवै। मांगै सो अलल-हिसाब देवण नै त्यार! पछै कांईं चाहीजै!

नीं ढालू वाळौ धणी मांन्यौ अर नीं बस्ती रा लोग मांन्या। अदल न्याव होवणौ चाहीजै। आखी न्यात रौ नाक वढ़ै। चार बरस उपरांत कूख उघड़ियां दूजौ धणी जागियौ। कांई ठाह कुण साचैलौ धणी! अेक नै तौ कूड़ौ व्हैणौ पड़ैला। बस्ती तौ भणभणाटै चढ़गी, जांणै टांटियां रौ लांठौ छातौ हेटै थरकीजियौ! ढालू वाळा धणी रै पखै नीं बंधै तौ बात रै है जठै मूचौ लाग जावै! सगळा आंणंद रौ मठ मर जावै! इण आंणंद रौ साव लेवण सारू मतै जणौ-जणौ ढालू वाळा मोट्यार रै विळू बंधग्यौ।

सेठ हाथ जोड़ता थकां गळगळा सुर में बोल्या—म्हारी पाग उतार्‌यां थारै कांईं हाथ आवैला? भेळा बैठा भाई हां! अड़िये-वड़िये अेक दूजा रै कांम आवां। म्हारै बेटा रा गुण थांरा सूं छांना कोनीं। उणरै हाथां किणरौ भलौ नीं व्हियौ! इत्ता वैगा गुण-चोर मत व्हौ। म्हारी पाग था रै चरणां, कीकर बातड़ी ठांणै बिठाय दौ। ढालू वाळौ मोट्यार जाळी है। इणनै थड्डा देय गांव बारै काढ़ौ।

बूढ़ा-बडेरा कह्यौ—सेठां दीखती माखी नीं गिटीजै। वगत आयां माथा देवण नै त्यार। पण पांणी रा पोटळा कीकर बंधै! मोट्यार बध-बधनै कैवै, वींदणी नै ढालुवां वाळी बात पूछौ तौ खरी, इण में कांईं हांण!

अैड़ी बात कीकर पूछणी आवै? कुण पूछै? तद कीं भली डोकरियां धकै आई। वगत माथै मिनख इज तौ मिनख रै कांम आवै! साळ रौ आडौ उघाड़ माय वड़ी। जच्चा रै पेट में सळीका हालता हा। जापा री घाटी रै उपरांत जिण बात रौ भणकारौ कांना पड़्यौ तद वा जच्चा री सगळी पीड पांतरगी! दूजोड़ी पीड़ घणी-घणी लांठी ही। दांत भींचती नीठ बोली—कोई मोट्यार बात पूछतौ तौ उणनै हां ना रौ जबाब देवती! थैं लुगाई रै जमारै आय बात पूछण री हीमत करी तौ करी इज कीकर! म्हनै म्हारै मतै मरणजीवण दौ। थांनै छेड़ण री वेळा लाधी? धिन है थांरी छाती नै!

डोकरियां मूंडा मस्कोरती बारै आई। बोली—अैड़ी बातां में लुगायां कद साच बोलै? म्हांनै तौ दूध में काळस दीसै, पछै थांरी समझ पड़ै त्यूं करौ।

अैड़ा टांणा माथै तौ समझ रै पांण लागै! सूत तौ अळूझियौ-पण-अळूझियौ! बूढ़ा-वडेरा वळै समझ सूं कांम लियौ। कह्यौ—औ न्याव राजाजी बिना नीं निवड़ै। कोई दूजौ इण में पंचायती करी तौ आखी बस्ती नै वै भेळी गांथैला। आपरौ भलौ-भूंडौ तौ सोचणौ पड़ै! अेकर आं दोनूं धणियां नै राजाजी रै हवालै कर दां। पछै राजाजी जांणै अर सेठजी जांणै। अपां बीच में क्यूं लिकलिक करां? पछै बस्ती रांम है, सगळां रै दाय पड़ै ज्यूं करौ।

तठा उपरांत बस्ती रै जचै ज्यूं ईं व्ही। भलां आपरौ रांम-पद क्यूं छोड़ती! दोनूं धणियां नै राहड़ियां सूं बांध काठा जरू कर्‌या। मैड़ी रै बारणै ऊभा धणी नै बांधण लागा तद उणनै चेतौ व्हियौ के सेवट बात कठै जायनै छूटी! वौ कीं उजर नीं कर्‌यौ। नाळ उतरतां काळजौ होठां लाय बोल्यौ—म्हनै अेकर साळ रै मांय जावण दौ। मां-बेटी री सुख-साता तौ पूछ लूं।

पण लोग नीं मांन्या। कह्यौ—न्याव निवड़ियां आखी ऊमर सुख-साता पूछणी इज है! इत्तौ आंचौ क्यूं करौ?

लोगां रौ वतूळियौ पगां हालियौ! दोनूं धणी गांथै बंध्योड़ा हा। सेठ खुर रगड़ता साथै चालता हा। पागड़ी रा आंटा बिखर्‌योड़ा। लांबा पना रौ बायरौ पांन-पांन नै फंफेड़तौ खें-खें बाजतौ हौ। चालतां-चालतां उणी इज खेजड़ी माथै भूत री निजर पड़ी। आखा डील में सरणाटौ माचग्यौ। उणरा पग हा जठै रुपग्या। माथा में खणणाटौ कळकळियौ। आंख्यां सांम्ही ओळूं री कावड़ घूमण लागी इज ही के राहड़ी रौ हचीड़ लाग्यां उणनै चेतौ व्हियौ। पग मतै टुळकण लागा। डावौ जीमणौ, डावौ जीमणौ। मिनख रै हीये ओळूं रौ लफड़ौ नीं रैवै तौ कित्तौ सावळ! ओळूं तौ जांणै अंस काढ़ न्हाकैला!

गांथै चालता बिणज वाळा धणी रौ तौ मन जागतौ हौ। पण साच रै आज कैड़ी आंच लागी! वौ तौ खुद भरम में पजग्यौ। कांईं लीला रचीजी! पसवाड़ै चालतौ मोट्यार तौ अैड़ौ लागै जांणै वौ आरसी में आपरौ प्रतम जोवै! इणनै पूछ्यां ईं भरम मिटै-तौ-मिटै। उणरै गळा सूं अड़ता-अड़ता नीठ अै बोल निकळिया—भाया, न्याव तौ राम-जांणै कांईं व्हैला, पण थूं खराखरी जांणै के म्हैं ईं सेठां रौ डीकरौ हूं। चंवरी रौ साचैलौ परण्यौ हूं! पण थूं कुण है, तौ बता? कांईं मायाजाळ परगटियौ। सूतां-बैठां म्हारै कांईं तळतळावण व्ही। बता, म्हनै तौ बता भाया के थूं है कुण?

हौ तौ घणौ भूत! न्याव करावण वाळा पंचां री घाटियां अेकण सागै मरोड़ सकतौ, केई चाळा कर सकतौ। लाग्यां उत्तन उठांण सकतौ। पण च्यार बरसां सूं प्रीत रै खोळिये उणरौ अंतस बदळग्यौ। झूठ बोलणी चायौ तौ उण सूं बोलीजियौ कोनीं। सुभट साच कैवै तौ कीकर कैवै? वाहेली री कांण तौ राखणी इज ही! जुजठळ वाळी मरजाद निभाई। बोल्यौ—म्हैं लुगायां री चांम रै मांयलौ सूछम जीव हूं! वांरी प्रीत रौ धणी हूं। बिणज अर कमाई बिचै म्हनै हेत-प्रीत री लाळसा वत्ती है!

फेरां रौ धणी आखतौ होय बिचाळै बोल्यौ—दूजी झिकाळ क्यूं करै? सुभट बता के चंवरी री ठौड़ थूं हथळेवौ जोड़्यौ कांईं?

‘कोरा-मोरा हथळेवा सूं कांईं व्है? चंवरी रौ जोर आखी ऊमर नीं चालै! बिणज चीजां रौ व्है, प्रीत रौ नीं! थैं तौ प्रीत रौ बिणज करण लाग्या! इण बिणज में अैड़ी इज बरगत व्है!’

सेठां रै डीकरा रै काळजै जांणै स्यार रा सासता ताबोड़ा लाग्या! अैड़ी बातां तौ वौ कदै सोची नीं ही! सोचण रौ मौकौ कद मिळ्यौ हौ? आज मौकौ मिळ्यौ तौ इण टांणै...!

मिनखां रौ वतूळियौ राजाजी रै पाखती न्याव करावण सारू खाथौ-खाथौ चालतौ हौ के बिचाळै अेवड़ चारतौ अेक राईकौ मिळग्यौ। हाथ में डीगौ तड़ौ। कड़बटीलौ खत। कड़बटीला पटिया। माथै कसूंमल गोळ पोतियौ। हाथां में चांदी रा कड़ा। भरपूर डीगौ। रींछ री गळाई आखा डील माथै लांठा बाळ। भोपणा, भंवारा अर कनबाळ अणूंता लांठा। कोडियाळा दांत। तड़ौ आडौ करनै धवूस री गळाई बूझ्यौ—इत्ता जणा भेळा होय सिध जावौ? कदास मौसर गिटण सारू भींवगोटी ऊठियौ दीसै!

दोय-तीन वळा समझायां उणरै सावळ समझ बैठी के खगडौ किण बात रौ! मूंफाड़ रै गळाकर हंसी नै ढोळतौ कैवण लागौ—इण नाकुछ कांम सारू बापड़ा राजा नै क्यूं फोड़ा घालौ? न्याव तौ म्हैं ईं निवेड़ देस्यूं। थांनै आंख्यां री सौगन धकै अेक पावंडौ बधिया तौ। नदी रौ ठाडौ पांणी पीवौ। धमेक बिसाई खावौ। थांरा चौखळा री तौ आछी पाखी परवारी। कोई दुथणी रौ जायौ न्याव सळटावणियौ लाधौ नीं! हचां-हचां पाधरा राजाजी रै गोडै वहीर व्हैगा!

लोगां ईं देख्यौ के हाल राज-दरबार तौ खासौ आंतरै। जे इण मूळ री अकल कांम काढ़ दै तौ कांईं आंट! नींतर धकै तौ जावणौ दीसै है। वै मांनग्या। तद राईकौ सारी-बारी दोनां रा मूंडा निरख्या। सागै अेक उणियारै। हवा जित्तौ फरक नीं। अचपळी वेमाता कैड़ी कुबद करी!

वां दोनां री राहड़ियां खोलतौ वौ कैवण लागौ—भलां मिनखां, आंनै इण भांत बांध्या क्यूं? इत्ता मिनखां में कठै दौड़नै जावता!

पछै खास मुखिया रै सांम्ही देख पूछ्यौ—अै गूंगा-बोळा तौ कोनीं?

मुखिये जबाब दियौ—आं हां, अै तौ अंगै गूंगा-बोळा कोनीं। दाछंट बोलै।

राईकौ बात सुण जोर सूं हंसियौ। हंसतौ-हंसतौ बोल्यौ—पछै इत्ता डाफा क्यूं खाया? आंनै उठै पूछ लेवता। दोनां में अेक तौ कूड़ौ है इज।

पंच मांय-रा-मांय हंसिया। राईकौ तौ साव अबूझ डळौ। अै साच बोल जावता तौ पछै घांदौ कांईं बात रौ हौ! व्हा, व्हैगौ इणरै हाथां न्याव! अैड़ी न्याव निवेड़ण जोग अकल व्हैती तौ तड़ौ लियां लरड़ियां रै लारै ढरर-ढरर करतौ क्यूं रबड़तौ?

राहड़ी नै सांवटतौ थकौ राईकौ कैवण लागौ—समझग्यौ, समझग्यौ। अै बोलणौ तौ जांणै। पण सागै-रा-सागै झूठ बोलणौ सीखग्या! पण कीं बात नीं। साच नै बारै काढ़णौ तौ म्हारै डावा हाथ रौ खेल! गळा में तड़ौ घाल आंतड़ियां में अळूझियोड़ौ साच अबार बारै लाय पटकूं। जेज कांईं। खेजड़ी रा लूंग इण तड़ा आगै नीं ढबै, पछै बापड़ा साच री कांईं जिनात! बोलौ, किणरा गळा में तड़ौ खसोलूं! पैला बाकौ फाड़ैला वौ साचौ।

भूत मन में सोच्यौ के अेकला री इज बात व्हैती तौ जांणै जित्तौ जोखौ अर दुख उठाय लेवतौ। पण अबै भेद परगट व्हियां तौ मैड़ी री धणियांणी में फोड़ा पड़ैला। अैड़ी ठाह व्हैती तौ खेजड़ी रै कांटां में ईं बिंध्योड़ौ रैवतौ। भूतां रा छळबळ में तौ वौ घणौ पारंगत हौ, पण मिनखां रै दाव-घाव रौ उणनै अंगै बेरौ नीं हौ। मिनखां री वांणी सूं सुणतौ जकी बात साच मांन लेवतौ! तड़ा सूं उणरै गळा रौ कांईं बिगड़ै! अैड़ा सात तड़ा खसोलै तौ कीं काढ़नै देवै नीं! म्हारी प्रीत झूठी भवै नीं व्है सकै। इण में इत्ती सोचण जैड़ी कांईं बात? वौ लप बाकौ फाड़तौ इज निगै आयौ। सेठां रौ बेटौ तौ होठ नीं खोल्या। रीस तौ अैड़ी आई के इण गिंवार राईका नै सिलाड़ी माथै बांट न्हाकै। पण विवाद कीं नीं कर्‌यौ।

बाकौ फाड़ण वाळा मोट्यार रा मोर थापलतौ राईकौ बोल्यौ—छेबास रे डारा, थारै जैड़ा सचवायाः मिनख रै अै नांढ़ लोग इत्ती छीजत करी! पण तौ दोय परख वळै करूंला। न्याव तौ अबै व्हैणौ जकौ इज व्हैला। पण मन रौ धीजौ मोटी बात है। थोड़ौ-घणौ खरखराटौ क्यूं राखणौ?

उणरी लरड़ियां खासी अळगी भांय लग न्यारी-न्यारी चरती ही। वां कांन्ही हाथ फेरतौ राईकौ कैवण लागौ—म्हैं सात ताळियां बजावूं, उत्ती ताळ में चूकती गाडरां नै टोळ इण खेजड़ी रै ओळूं-दोळूं अेकठ भेळी करदै जकौ साचौ।

राईका नै कैवतां जेज लागी अर वौ भूत तौ वतूळिया रौ रूप धार पांचवी ताळी बाज्यां पैली-पैली सगळा अेवड़ नै अेकठ कर दियौ। सेठां रौ बेटौ मूंडौ ढेर्‌यां ऊभी रह्यौ। उठा सूं चुळियौ नीं। जैड़ी राईकां री नांढ़ जात वैड़ौ नांढ़ वांरौ न्याव! मांनणौ अर नीं मांनणौ तौ उणरै हाथ री बात।

राईकौ बोल्यौ—घणा रंग है थन्नै। भलां, साचा धणी टाळ इत्ती हूंस अर इत्तौ आपौ किणरौ व्है सकै! अबै अेक मांमूली छांण-बीण वळै कर लूं। थोड़ाक सुस्तावौ।

तड़ौ खाक में घाल दीवड़ी रौ मूंडौ खोल्यौ। अेक सांस में डग-डग सगळौ पांणी गरळै खळकाय जोर सूं डकार खाई। पछै पेट माथै हाथ फेरतौ बोल्यौ—सात चिमट्यां रै समचै जकौ मोट्यार इण दीवड़ी रै मांय वड़ जावैला, वौ इज मैड़ी रौ साचौ धणी। म्हारी पंचायती उथापै उणरौ गळौ तड़ा सूं तच्च करती रौ सूंत न्हाकूं!

लोग तड़ा रै अंकोड़िया सांम्ही जोयौ—धार लाग्योड़ौ। तीखौ तच्च। अेक झटकौ लाग्यां दूजौ तौ उबरतौ पड़्यौ! भोडक तौ पाधरौ पगां आय धूळ भेळौ।

लोगां नै अंकोड़िया री आंट तौ देखतां जेज लागी पण भूत नै दीवड़ी रै मांय वड़तां कीं जेज लागी नीं। अै करतब तौ वौ जलम सूं ईं जांणै। बापड़ौ राईकौ तौ जबर लाज राखी। भूत रै मांय वड़तां ईं राईकौ तौ अेक छिण री ढील नीं करी। तुरंत मूंडौ वाळ कस्सा रा सात-आठेक पळेटा खांच दीवड़ी रौ मूंडौ सैंठौ बांध दियौ। पछै पंचां रै मूंडा सांम्ही देख अंजसतौ बोल्यौ—न्याव करतां जेज लागी! दीवड़ी तौ म्हारी वहती रै वाळ्है जावैला, पण न्याव झेलियौ तौ कीं सोच-समझनै झेल्यौ हौ। चालौ अबै सगळा भेळा होय इण दीवड़ी नै नदी रै मांय पधराय दां। आटां-पाटां गैगाट करती नदी इणनै मतै मैड़ी रै ढोलिये पुगाय देवैला! बोलौ, व्हियौ के नीं अदल न्याव!

सगळा अेकण सागै माथा धूणिया। सेठां रै बेटा रै नीं हरख रौ पार हौ अर नीं आंणंद रौ। ब्याव सूं ईं हजार गुणा वत्तौ कोड उणरै हीये थाबा मारण ढूकौ। अंतस रौ आंणंद ओटै होय राफां रै मिस बारै झरण लागौ। आंचाआंच में नग जड़ी बींटी काढ़ राईका नै दैवण सारू धकै कीवी। राईकौ बिना कह्यां ईं उणरै मन री बात समझग्यौ, पण बींटी अंगेजी कोनीं। कड़बटीला खत रै मांय कोड्याळी हंसी हंसतौ बोल्यौ—म्हैं राजा कोनीं जकौ मोल साटै न्याव करूं! म्हैं तौ अड़ियौ कांम सार दियौ। अर बींटी म्हारै कीं कांम री कोनीं। नीं आंगळियां में आवै, नीं तड़ा में। म्हारी लरड़ियां ईं म्हारै जैड़ी अबूझ। लूंग खावै पण सोनौ सूधै नीं! फालतू री अै चीजां थां अमीरां नै छाजै!

अबै जावतां भूत नै राईका रै आड़ न्याव रौ पतौ पड़ग्यौ। पण पतौ पड़्यां कांईं सांधौ लागै! बात बस बारै उलळगी। तौ दीवड़ी रै मांय कूकियौ—देवासी, थारी मींडकी गाय हूं, अेकर बारै काढ़ दै। जीवूं जित्तै थारौ अेवड़ चारूंला।

भलां अबै भूत री बात कुण सुणतौ! हलबलिये चढ़्योड़ा सगळा नदी रै कांठै पूगा। दीवड़ी थालां खावता पांणी रै मांय थरकाय दीवी। प्रीत रा धणी नै सेवट नदी री आटां-पाटां बैवती सेज मिळी! उणरौ जीवण सुफळ व्हियौ, उणरी मौत सारथक व्ही!

पछै बस्ती रा लोग, सेठ अर सेठां रौ बेटौ पाछा दूणै वेग खाथा-खाथा वळिया।

हवेली रै बारणै वड़तां ईं बेटौ पाधरौ साळ रै मांय वड़ियौ। अेक दाई बेटी रै लोई करती ही। दूजोड़ी चन्नण री कांघसी जच्चा रा केस सुळझावती ही। राईका रै अदल न्याव री विगतवार मांडनै सगळी बात बतायां हथळेवा रै वींद रौ आफरौ झड़्यौ। अेक-अेक बोल रै समचै जच्चा रै काळजै चरड़-चरड़ अणगिण डांम लागा! जापा री पीड़ सूं ईं पीड़ हजार गुणां वत्ती ही! पण वा नीं तौ टसकी अर नीं चुस्कारौ कर्‌यौ! पाखांण पूतळी ज्यूं बोली-बोली सुणती रीवी।

सगळी गांगरत उधेड़्यां उपरांत वौ कैवण लागौ—पण थैं इण भांत गुमसुम क्यूं व्हिया? जलम देवणिया माईत जद नीं ओळखियौ तौ भलां थैं कीकर ओळखता? इण में थांरौ कीं कसूर नीं। पण ओटाळ भूत में तौ लखणां परवांण बीतगी! दीवड़ी में वड़्यां केड़ै घणौ डाढ़ियौ, घणौ डाढ़ियौ। पण पछै तौ रांम भजौ! म्है अैड़ा भोळा कद! सेवट नदी में पधरायां लारौ छूटौ अर उणरौ डाढ़णौ मिट्यौ! कमसळ वळै कदैई छळ करैला?

तठा उपरांत जच्चा घरवाळा कह्यौ त्यूं ईं कर्‌यौ। कदैई किणी बात रौ ओड़ौ नीं दियौ। सासू जित्ती सुवावड़ सांधी वा बोली-बोली खायली। जद सासू कह्यौ तद माथा-न्हावण करी। सूरज पूज्यौ। बांमण आय होम करग्यौ। लुगायां गीत गाया। गुळ री मंगळीक लापसी व्ही। सासू रै कह्यां जळवा पूजी। पीळौ ओढ़्यौ। बेटी नै पीळा में हिंडाई। परिंडौ पूज्यौ। कूंकूं रा मांडणा मांड्या। मैंदी लगाई। कह्यौ सो बणाव कर्‌यौ। गैणा-गांठा पैर्‌या। अैड़ी सुलखणी वींदणी तौ बड़भागियां नै मिळै!

जळवा री रात वींदणी पीळौ ओढ़ झम्मर-झम्मर करती मैड़ी चढ़ी। खाक में गीगली। हांचळां पांनौ। आंख्यां सूनी। हिवड़ौ सूनौ। माथा में जांणै अणगिण बुग भणण-भणण करै। धणी उडीक में हींगळू ढोळियै बैठौ हौ। इण अेक मैड़ी उणनै रांम जांणै कित्ता जमारा भुगतणा पड़ैला? पण हांचळां चूंघती बेटी लांठी व्हियां लुगाई री जूंण नीं भुगतै तौ मां रौ सगळौ विखौ सुफळ व्है जावै! यूं तौ ढोर-डांगर सोरै-सांस वारै मन-परबारा नीं परोटीजै! अेकर तौ माथौ धूणै इज! पण लुगायां रै तौ आपरौ मन व्है इज कठै! मसांण नीं पूगै जित्तै मैड़ी अर मैड़ी छूट्या सीधी मसांण।

स्रोत
  • पोथी : बातां री फुलवाड़ी (भाग-10) ,
  • सिरजक : विजयदान देथा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी ग्रंथागार प्रकाशक एवं वितरक (जोधपुर) ,
  • संस्करण : द्वितीय संस्करण
जुड़्योड़ा विसै