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कहाणी1

दुविध्या

अेक मायापत सेठ हौ। तिणरै अेकाअेक बेटा री जांन गाजां-बाजां परणीजनै धूमधांम सूं पाछी वळती ही के वै कांकड़ में बिसाई खावण ढबिया। घेर-घुमेर खेजड़ी री जाडी छींयां। सांम्ही हब्बा-होळ हिलोरां भरती नाडी। कमोद री जात निरमळ पांणी। सूरज मथारै चढ़ण वाळौ हौ। जेठी

विजयदान देथा

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