संसार पर दूहा

‘संसरति इति संसारः’—अर्थात

जो लगातार गतिशील है, वही संसार है। भारतीय चिंतनधारा में जीव, जगत और ब्रहम पर पर्याप्त विचार किया गया है। संसार का सामान्य अर्थ विश्व, इहलोक, जीवन का जंजाल, गृहस्थी, घर-संसार, दृश्य जगत आदि है। इस चयन में संसार और इसकी इहलीलाओं को विषय बनाती कविताओं का संकलन किया गया है।

दूहा6

मनड़े रा मोती: दोहा

हिम्मत सिंह उज्जवल

दोहा : भोजन

जयसिंह आशावत

वागड़ी दूहा

कैलाश गिरि गोस्वामी

सोनो दिस्यौ संसार

प्रह्लाद सिंह राजपुरोहित

देवा साधु अर संसार कै

स्वामी देवादास जी

झुठा सुख संसार का

हरिदास निरंजनी