ज्ञान पर उद्धरण
ज्ञान का महत्त्व सभी
युगों और संस्कृतियों में एकसमान रहा है। यहाँ प्रस्तुत है—ज्ञान, बोध, समझ और जानने के विभिन्न पर्यायों को प्रसंग में लातीं कविताओं का एक चयन।
युगों और संस्कृतियों में एकसमान रहा है। यहाँ प्रस्तुत है—ज्ञान, बोध, समझ और जानने के विभिन्न पर्यायों को प्रसंग में लातीं कविताओं का एक चयन।
“साचांणी समझ रौ इज डंड व्हिया करै। हर जुग में नासमझ लोग समझण वाळां नै डंड दियौ अर वांनै फांसी रै फंदै लटकाया।“