भगवान पर लोकगीत

ईश्वर मानवीय कल्पना

या स्मृति का अद्वितीय प्रतिबिंबन है। वह मानव के सुख-दुःख की कथाओं का नायक भी रहा है और अवलंब भी। संकल्पनाओं के लोकतंत्रीकरण के साथ मानव और ईश्वर के संबंध बदले हैं तो ईश्वर से मानव के संबंध और संवाद में भी अंतर आया है। आदिम प्रार्थनाओं से समकालीन कविताओं तक ईश्वर और मानव की इस सहयात्रा की प्रगति को देखा जा सकता है।

लोकगीत15

बिग्गा जी भजन

लोक परंपरा

भेरूजी

लोक परंपरा

जलवा का गीत

लोक परंपरा

तेजाजी

लोक परंपरा

ओ कुण बीजै

लोक परंपरा

चौथ

लोक परंपरा

गोगाजी

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गणेश जी रो भजन

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भोमिया

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राम भजौ

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पथवारी

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