भगवान पर छप्पय

ईश्वर मानवीय कल्पना

या स्मृति का अद्वितीय प्रतिबिंबन है। वह मानव के सुख-दुःख की कथाओं का नायक भी रहा है और अवलंब भी। संकल्पनाओं के लोकतंत्रीकरण के साथ मानव और ईश्वर के संबंध बदले हैं तो ईश्वर से मानव के संबंध और संवाद में भी अंतर आया है। आदिम प्रार्थनाओं से समकालीन कविताओं तक ईश्वर और मानव की इस सहयात्रा की प्रगति को देखा जा सकता है।

छप्पय14

पारथ पण्डव पत्र

अलूनाथ कविया

मदन-मोदकर-बदन

बुद्धसिंह हाड़ा

दिसै जंगळां डगळ

अलूनाथ कविया

नमो साम सब सीस

संत सेवगराम जी महाराज

नमो अलख अणरूप

संत सेवगराम जी महाराज

लीध ओट प्रहलाद

मंसाराम सेवग

जिण मुख में हरि नाँव

संत सुखरामदास

नमो अडोल अबोल

संत सेवगराम जी महाराज

सीस सरग सात में

मंसाराम सेवग

नारद कहियो नाथ!

मंसाराम सेवग