आज़ादी पर कवितावां

स्वतंत्रता, स्वाधीनता,

मुक्ति के व्यापक अर्थों में आज़ादी की भावना मानव-मन की मूल प्रवृत्तियों में से एक है और कविताओं में महत्त्व पाती रही है। देश की पराधीनता के दौर में इसका संकेंद्रित अभिप्राय देश की आज़ादी से है। विभिन्न विचार-बोधों के आकार लेने और सामाजिक-वैचारिक-राजनीतिक आंदोलनों के आगे बढ़ने के साथ कविता भी इसके नवीन प्रयोजनों को साथ लिए आगे बढ़ी है।

कविता33

बै गांधी हा

राजूराम बिजारणियां

पंछी

हरि शंकर आचार्य

कंपोजिटर

पारस अरोड़ा

‘फौजी’ ने नेता

सत्यनारायण व्यास

छतरीपणौ

विवेकदीप बौद्ध

मनक परतेम रेजू रे

कैलाश गिरि गोस्वामी

आजादी

भगवती लाल व्यास

कन्या शतक सूं

रेखा व्यास

जागीरी जुलम

मांगीलाल निरंजन

इकडंकी मारग

चन्द्र प्रकाश देवल

गाँधीवादी

संदीप 'निर्भय'

चेतावणी

मांगीलाल निरंजन

गणतंत्र नै राम-राम

नन्दकिशोर चतुर्वेदी

फाटोड़ी जेब

पारस अरोड़ा

मनसूबा उजड़ गिया

रामसहाय विजयवर्गीय

जांमण

चन्द्र प्रकाश देवल

थळवट रौ उमराव

सुमन बिस्सा

चेत

राजेन्द्र गौड़ 'धूळेट'

चिड़ी बणा दीज्यो

सीमा राठौड़ ‘शैलजा’

सांवळी ओळूवां

मनीषा आर्य सोनी

आजादी

श्रवण दान शून्य

ग्रामराज रौ अेको

मांगीलाल निरंजन

साक्षरता

बुलाकी दास बावरा

थड़ी करो

मोहम्मद सदीक

धमाळ

ताड़केश्वर शर्मा

मन-सूवटियो

रामनाथ व्यास ‘परिकर’