आज़ादी पर गीत

स्वतंत्रता, स्वाधीनता,

मुक्ति के व्यापक अर्थों में आज़ादी की भावना मानव-मन की मूल प्रवृत्तियों में से एक है और कविताओं में महत्त्व पाती रही है। देश की पराधीनता के दौर में इसका संकेंद्रित अभिप्राय देश की आज़ादी से है। विभिन्न विचार-बोधों के आकार लेने और सामाजिक-वैचारिक-राजनीतिक आंदोलनों के आगे बढ़ने के साथ कविता भी इसके नवीन प्रयोजनों को साथ लिए आगे बढ़ी है।

गीत8

बापू

कन्हैयालाल सेठिया

धरती री पहली बेटी

मेघराज मुकुल

सत्याग्रह में चालोजी!

ताड़केश्वर शर्मा

चाल हे नणदी!

ताड़केश्वर शर्मा

सुण ल्यो वीर-जवान

लखन लाल ‘लखन’