जीणै रो अरथ

बळनो जळनो है

तो मोमबत्ती बण

अगरबत्ती ज्यूं होमीज ज्या।

पण फिड़कलै ज्यूं

अनमोल जीव रा

पुरचा मत उडा

जीव बळ्यां

जीवती चामड़ी बळ्यां

मुरड़ांद आसी

जी मिचळासी।

मूंज बळै पण बंट रैह जासी

जनम-जात स्वभाव स्यूं

लार नईं छूटै।

मिनख जूण मिली है

पग लेवो अर पा पा

चालणो सीखो

गोदी ऊं उतरो, थड़ी करो

लोगां रा कांधा मत तक्को।

पराई आँगळी पकड़’र

कित्तीक दूर चालणो चावो

आंगळी रै सरोदै चालणियाँ

दिसा भटकसी।

धोरां री धूळ नरम

पसरै, घिसकै

घिसकती घिसकती

माथै नै जावैली।

स्रोत
  • पोथी : जूझती जूण ,
  • सिरजक : मोहम्मद सदीक ,
  • प्रकाशक : सलमा प्रकाशन (बीकानेर) ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
जुड़्योड़ा विसै